डॉक्टरों की कमी से जूझ स्वास्थ्य केंद्र, मरीज परेशान, आयुष कर्मचारी के भरोसे चिकित्सालय

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

आम्बुआ तथा आसपास के ग्रामीणों का अब केवल भगवान का सहारा ही शायद रह गया है। गरीब बीमार कहां जाए समझ से परे है। विगत दिनों समाचार पत्रों की सुर्खियां बनने के बावजूद अस्पताल में चिकित्सकों की व्यवस्था नहीं होना आखिर क्या दर्शाता है जिला प्रशासन की खामोशी भी इस समस्या को बढ़ा रही है इधर बी.एम.ओ तथा उनका कार्यालय जिला मुख्यालय पर ही चल रहा है जब स्वयं बी.एम.ओ ही नहीं रहेंगे तो फिर व्यवस्था कौन देखेगा। आम्बुआ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिसे ब्लॉक स्तर का दर्जा प्राप्त है । विगत महीनों से स्वयं बीमार चल रहा है यहां पदस्थ एवं चिकित्सक ने स्थानांतरण करा लिया एक स्वयं बीमार है तथा अस्पताल का मुखिया बी.एम.ओ (ब्लॉक मेडिकल अधिकारी) कार्यालय सहित अलीराजपुर में जा बैठे हैं ।वह किसी शासकीय कार्यक्रम में ही यहां आते हैं अभी हाल ही में स्वतंत्रता दिवस को ध्वजारोहण हेतु अस्पताल में उपस्थित हुए तथा फिर गायब हो गए। जिला चिकित्सा अधिकारियों को स्थिति का पता है बावजूद वे कोई कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं किसी अन्य चिकित्सक की व्यवस्था क्यों नहीं कर रहे हैं जबकि जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्री प्रकाश ढोके स्वयं भी कुछ वर्षों पूर्व आम्बुआ में पदस्थ रह चुके हैं उन्हें पता है कि इस अस्पताल में कितने ग्रामों के मरीजों का भविष्य (स्वास्थ्य) जुड़ा हुआ है बी.एम.ओ यदि स्वयं यहां प्रतिदिन उपस्थित रहे तो एक चिकित्सक की पूर्ति तो होगी ही उनके लंबे अनुभव का लाभ क्षेत्रीय लोगों को मिल सकेगा विगत दिनों लोगों ने क्षेत्रीय विधायक को भी लिखित आवेदन देकर व्यवस्था सुधारने हेतु निर्देश देने का आग्रह किया था इसके बावजूद जिला प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है। आज 21 अगस्त को हमारे प्रतिनिधि ने अस्पताल जाकर स्थिति देखी जहां पर लगभग 100 से भी अधिक मरीजों की भीड़ लगी थी तथा एक मात्र महिला आयुष चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रही थी इतने मरीजों का इलाज एक मात्र आयुष चिकित्सक कैसे कर रही है यहां आकर ही देखा जा सकता है ।आम्बुआ कस्बे के नागरिक बहुत जल्दी इस समस्या हेतु आंदोलन का मन बना रहे हैं जिसकी तैयारी जारी है यदि दो-चार दिन में कोई व्यवस्था नहीं होती है तो धरना, बंद, घेराव आदि जो भी संभव होगा वह सब किया जा सकता है।

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