चुनाव आयोग के निर्देशन के बाद राजनीतिक पार्टियों का प्रचार में शोरगुल नदारद, साइलेंट प्रचार में जुटे प्रत्याशी

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
वर्तमान समय लोकसभा चुनाव का चल रहा है। मगर चहल-पहल धूमधड़ाका नदारद है सब और शांति छाई हुई है। राजनीतिक पार्टियां भी फूंक फूंक कर कदम उठा रही है प्रचार प्रसार का शोरगुल नदारद है। पार्टियों के कार्यकर्ता शहरों तथा कस्बों में दिखाई नहीं दे रहे हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में शादी विवाह आदि के कारण ग्रामीणों की भी रुचि चुनाव की और कम ही दिखाई दे रही। मतदाताओं की चुप्पी राजनीतिक दलों की नींद हराम किए हुए हैं पार्टियां छोडक़र जाने आने वाले समय की नदारद समझ कर आ जा रहे है। विगत दो-तीन दिनों में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विधानसभा क्षेत्र जोबट के लगभग 2 दर्जन से भी अधिक सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया तो पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों शादी विवाह आदि के कार्यक्रम हो रहे हैं। इस कारण ग्रामीण चुनाव संबंध दी। कार्यक्रम से दूर चुनावी चर्चाओं से दूर रहकर अपने में मस्त है कहीं पर भी किसी पार्टी की लहर और न ही कहीं किसी पार्टी का प्रभाव नहीं दिख रहा है पूर्व के वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में लाउडस्पीकरो का शोर झंडे बैनर पोस्टर आदि शहरों की दीवारें पटी पड़ी रहती थी। मगर अब चुनाव आयोग की सख्ती के कारण यह सब बीती बातें रह गई है चुनाव सामग्री लगाने था दीवारों पर लिखने के पूर्व भवन मालिक की अनुमति जरूरी है यही कारण है कि कोई भी भवन मालिक अपने भवनों की दीवारे खराब नहीं कराना चाहेगा कुल मिलाकर अभी तक चुनावी शोरगुल नहीं हो रहा है चुनाव के चुनाव में मात्र 1 सप्ताह बचा है।
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