गौशाला में चल रही श्रीमद भागवत भागवत कथा में कान्हा की लीलाओं का किया वर्णन, झूमे श्रद्धालु

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जितेंद्र वाणी, नानपुर
स्थानीय गोपाल गौशाला में चल रही संगीतमय श्रीमद्ल भागवत कथा की धूम मची हुई है। कथा श्रवण करने के लिए गांव सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। प. राहुल शर्मा और प. विजय नागर ने सुबह से ही विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए जा रहे हैं। संगीतमय कथा का वाचन करते हुए नानपुर के ही विद्वान आचार्य कमलेश नागर ने कथा के पांचवे दिन बड़ी ही मार्मिक ढंग से श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने बलि प्रथा पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि पशु बलि देने से देवी देवता प्रसन्न नहीं होते हैं कहा कि अपने बच्चों के भले के लिए पशुओं के बच्चों की बलि देना पाप है। पंडित नागर ने भजन में कहा कि बिन हरि कृपा मिलती नहीं रे संत। इस भजन पर कथा सुनने आए सेकड़ो श्रद्धालु झूम उठे। प्रभु भक्त की परीक्षा लेते हैं जो भी भक्त उस परीक्षा में पास हो जाते हैं भगवान उन भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं। उन्हें सभी कष्टों से उबारते हैं। आपसी प्रेम और सहयोग से भी भगवान प्रसन्न रहते हैं। कान्हा द्वारा पुतना के वध, वक्रासुर का वध व कंस द्वारा भेजे गए राक्षसों के वध की कथा सुनाई। भगवान इन राक्षसों के वध के रूप में इस धरां पर सभी बुराईयों के अंत का संदेश दिया। काम, क्रोध, मोह, ईष्र्या व द्वेष सभी बुराईयां ही है, जिन्हें परमात्मा ने मिटाया है। पंडित नागर द्वारा गाए गए भजनों पर सभी श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर झूमने पर मजबूर हुए। भगवान कृष्ण की माटी खाने व अपनी माता यशोदा को समस्त ब्रह्मांड का दर्शन करवाने की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाया। भगवान कृष्ण द्वारा गऊओं की सेवाए गऊचरण व कालिया सर्प की कथा भी सुनाइ। भगवान कृष्ण द्वारा बार-बार इस धरां पर उत्पन्न बुराईयों का संहार करने की कथा सुनाई और संदेश दिया कि अगर हम सच्चे दिल व पवित्र हृदय से भगवान पर विश्वास करते हैए तो पालनहार हर संकट में प्राणी मात्र की रक्षा के लिए तत्पर रहता है। हमें अपने इस भौतिक शरीर में उत्पन्न बुराईयों को समाप्त करके कृष्ण को आत्मसमर्पण करना चाहिए व हरि के शरण में जाकर इस जन्म को सार्थक करना चाहिए। साथ ही अपने अच्छे सेवा कार्यो के लिये गांव के पत्रकार बंधुओं और साई सेवा समिति के सदस्यों का पंडित नागर ने मंच पर गले मे गमझा डालकर कर स्वागत किया। साथ ही ग्राम में रक्तदान, नेत्रदान जैसे सेवा प्रकल्पों के प्रति अपनी सेवा दे रहे लोगो का भी सम्मान किया गया स अंत मे महा आरती के बाद प्रसादी वितरण कर पांचवें दिन की कथा का समापन किया गया।

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