कॉलेज मेें प्रोफेसरों ने विद्यार्थियों को गांधीजी के पदचिन्हों पर चलकर, सद्भावना व समरसता का प्रकाश फैलाने का दिया संदेश

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रितेश गुप्ता, थांदला
महात्मागांधी के 150वें जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में गांधी जी की विचारधारा से भावीकर्णधारों को अवगत कराने तथा गांधी जी की विचार धारा पर समाज में आधुनिक संदर्भ पर चिन्तन करने के उद्देश्य से महाविद्यालय में रचनात्मक कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के आयोजन में गांधी जी की आत्मकथा सत्य के प्रयोग से आत्मिक शिक्षा शीर्षक का सामूहिक वाचन प्राचार्य डॉ.पीके संघवी द्वारा किया गया। कार्यक्रम संचालन करते हुए डॉ. जीसी मेहता ने गांधी जी के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाओं, विचारो, आंदोलन, समाज सुधारक मुद्दो पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि गांधीजी एक विराट व्यक्तिव के धनी जो भारत ही नही विश्वभर में सम्मानित एवं अनुकरणीय है। डॉ. पीटर डोडियार ने गांधीजी के सद्भावना, स्वच्छता आदि पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गांधी जी को एक ऐसे वकील के रूप में जाना जाता है जो एक भी मुकदमा नही जीते फिर भी सर्वश्रेष्ठ वकील माने जाते है क्योंकि उन्होने सभी मामलो में आपसी समझौते से सुलह करवा कर सद्भावना का प्रचार किया। प्रो. सेलीन मावी ने गांधी जी के स्वदेशी विचार धारा को आज भी प्रासंगिक मानते हुए देश में कुटीर उद्योगो द्वारा बेरोजगारी दूर कर देश आर्थिक विकास को महत्वपूर्ण माना। साथ ही उन्होने विश्व बंधुत्व की बात करते हुए समरसता के विचार को अपनाने पर जोर दिया। प्रो. एसएस मुवेल ने गांधी के सविनय अवज्ञा आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन, विदेशी वस्तुओ का बहिष्कार आदि पर विस्तृत चर्चा करते हुए अंग्रेज भारत छोडो़ आन्दोलन में सत्य और अहिंसा के बल पर भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका। प्रो. मीना मावी ने गांधी जी के बाल्यकाल के एक प्रेरक प्रसंग द्वारा सत्य के पालन पर विचार व्यक्त किये। डॉ. एमएस वास्केल ने भी गांधीजी के जीवन से संबंधित कहानी के माध्यम से दूसरों को शिक्षा देने से पहले स्वयं अनुसरण करने से प्रभाव होने की बाते कही। प्रो. हिमांशु मालवीय ने गांधी जी द्वारा बचपन में की गई गलतियां को स्वीकार कर, उपवास द्वारा प्राश्यचित करके भविष्य में पुनरावृति न करने की प्रतिज्ञा उन्होंने कहा कि दूसरों की सेवा करके स्वयं को खोजा जा सकता है। यदि दुनिया में बदलाव लाना है तो पहले स्वयं में बदलाव लाना आवश्यक है गांधीजी द्वारा बताये गये अहिंसक तरीके से दुनिया को जीता जा सकता है। यह बात प्रो. हर्षवधन राठौर ने कही। प्रो. प्रीतम गुनावा ने कहा कि गांधी जी अपनी विचार धारा के रूप में अमर है उन्होने अपनी मां को दिये गये शाकाहारी भोजन के वचन का आजीवन पालन किया साथ ही उन्होने बुद्ध और गांधी के विचारों में समानता की बात कही। डॉ. शंकर भूरिया ने गांधी जी के समय प्रबंधन एवं अपना काम स्वयं करने संबंधी विचार व्यक्त किये। डॉ. मिसर नरगावें ने बापू के संदेश के संबंध में कहा कि युवा उन्हे जाने और अपने जीवन में अनुसरण करके व्यक्तित्व का विकास करे। डॉ. अर्चना आर्य ने गांधी जी के आदर्श वाक्य सत्य और अंहिसा प्रारंभ से ही व्याप्त थी मेने इसका उपयोग भारत की स्वतंत्रता के लिए किया है इसमें कुछ भी नया नही किया के संदर्भ में सत्य और अंहिसा पर अपने विचार व्यक्त किये। श्री दिनेश मोरिया ने कहा कि किसी बात विरोध करने का अधिकार सबको है लेकिन किसी को हानि न पहुचे इस बात का ध्यान रखे साथ ही उन्होने स्वच्छता अभियान को सफल बनाने के लिए दिनचर्या में शामिल करने पर जोर दिया। महाविद्यालय के छात्र मनीष भूरिया ने स्वच्छता के संदर्भ में गांधी जी द्वारा खुले में शौच न करने की सीख बिल्ली की आदत से लेने संबंधी प्रसंग सुनाया। महाविद्यालय के एक ओर छात्र भोदरसिंह परमार ने भी गांधी जी के विचारो पर अभिव्यक्ति दी। बडी संख्या में विद्यार्थियों ने सहभागिता की। गांधी जी के 150वें जन्मदिवस पर आयोजित सामूहिक कार्यक्रम में डॉ. बी.एल. डावर ने कहा कि गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक है गांधी जी के बिना कोई भी कार्य संभव नही है। उन्होने सत्य अहिसंा को अपनाने की बात कहते हुए आभार व्यक्त किया।