इमाम हुसैन की शहादत पर आसमान भी रोया, ताजिए ठंडे करते वक्त 20 दिन से रूकी बारिश चालू हुई

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

विगत 10 दिनों से मुस्लिम समाज में इमाम हुसैन की याद में मातम मनाया जा रहा था तथा खूबसूरत ताजिया का निर्माण किया जा रहा था जिन्हें दसवे दिन कर्बला में विसर्जित किया गया जिस समय ताजिए करबला में पहुंचे उससे कुछ समय पूर्व विगत 20 दिनों से भी अधिक समय से क्षेत्र में वर्षा रूकी हुई थी सूखे की स्थिति बन रही थी वह प्रारंभ हो गई है ऐसा लगा मानो इमाम हुसैन की याद में आसमान भी रो दिया हो। रात्रि में हिंदू मुस्लिम एकता का नजारा दिखाई दिया श्री राम मंदिर के पुजारी शंकर लाल पारीख, कालू भारती, रमेश रावत आदि ने ताजियों के दर्शन किए तथा वहां पर बैठे। पुलिस की माकूल व्यवस्था थाना प्रभारी विकास कपिस ने अपने साथियों के साथ संभाली।

जैसा कि विदित है मुस्लिम समाज में मोहर्रम का विशेष महत्व है। इस्लाम धर्म के हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने के लिए मोहरम मनाया जाता है । मुस्लिम जमात में दस दिनों तक मातम किया जाता है। इमाम हुसैन की याद में उनके प्रतीक स्वरूप बास की बल्लियों आदि से ताजियों का निर्माण भी किया जाता है ,जिन्हें रंग बिरंगी फूल पत्तियों से सजाया जाता ये तजिए 9 वी तारीख को बाहर निकाल कर सार्वजनिक स्थल पर रखा जाता है । जहां मुस्लिम जमात के लोग इबादत करते हैं तो हिंदू समाज के लोग पूजा-अर्चना करते हैं । 20 सितंबर को मुहर्रम के ताजिए बाहर रखे जाकर 22 सितंबर की सुबह हथनी नदी किनारे स्थित कर्बला में ठंडा किया गया। ताजिए विसर्जन के समय से ही आसमान से रिमझिम वर्षा का क्रम चालू है जो कि समाचार लिखे जाने तक चालू था समाज जनों का विचार है कि इमाम हुसैन की याद में मुस्लिम जमात ही गमजदा नहीं है बल्कि आसमान भी गम में आंसू बहा रहा है।