शिक्षण संस्था का हेण्डपंप उगल रहा प्रदूषित पानी; बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है विपरीत असर

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मयंक विश्वकर्मा@ आम्बुआ

जल ही जीवन है स्वच्छ जल पिए आदि वाक्य कई बार शासन प्रशासन की ओर से लिखे गए स्लोगनों में दिखाई पड़ जाता है लेकिन जब स्वच्छ जल के स्थान पर बदबूदार प्रदूषित जल मिले वह भी देश के नौनिहालों को तो उनका स्वास्थ कैसे अच्छा रहेगा यह विचारणीय है। शासन प्रशासन को इस और तत्काल ध्यान देना जरूरी माना जा रहा है।

उक्त समस्या आम्बुआ में संचालित प्राथमिक बालक तथा कन्या शासकीय स्कूल की है बता दे की इस संस्था में पूर्व में खनन किया गया हेण्डपंप में आसपास की पेड़ों की जड़ें आ जाने से खराब हो जाने के बाद एक अन्य स्थान पर हेण्डपंप खनन किया गया। विगत वर्षों से यह हण्डपंप स्वच्छ जल प्रदाय कर रहा था मगर कोरोना काल में शिक्षण संस्था बंद रहने के कारण इसका उपयोग कम हुआ शायद यही कारण है या कोई अन्य कारण से हेण्डपंप के पानी से बदबू आने लगी है। हेण्डपंप के पास ही पंचायत द्वारा एक सोखता गड्ढा खोदा जा कर चारों तरफ की दीवारें पक्की की गई। इस गड्ढे में हैंण्डपंप का पानी एकत्र हो रहा है। विगत विधानसभा उपचुनाव के एक हफ्ते पूर्व किसी होटल व्यवसाई ने बचा हुआ मैदा ,बेसन इस गड्ढे में डाल दिया जो कि सड़ कर इतनी दुर्गंध देने लगा कि वहां खड़े रहना मुश्किल हो गया। इस समस्या की ओर पत्रकारों ने स्कूल तथा पंचायत का ध्यान आकर्षित किया तो पंचायत द्वारा गड्ढे में मिट्टी भरवा दी गई जिससे गंदगी तथा सड़ा बेसन, मैदा भी दब गया इसमें पानी मिलने से भी आगामी समय में पानी और अधिक प्रदूषित होने का खतरा बढ़ गया है। संस्था में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले स्व-सहायता समूह की महिला सदस्य श्रीमती शांतिबाई वर्मा तथा श्रीमती बसंती चौहान ने बताया कि पानी बदबू मार रहा है पीने योग्य नहीं है अभी मध्यान्ह भोजन नहीं बन रहा है यदि बनने लगेगा तो इसी पानी से बनाना पड़ेगा। अभी बच्चे यही बदबूदार पानी पीने को मजबूर है।

संस्था के प्रधान अध्यापक श्री मुकाम सिंह डुडवे ने बताया कि इस हेण्डपंप का पानी लंबे समय से खराब है पुराने हेण्डपंप का पानी अच्छा था मगर वह बंद पड़ा है बदबूदार पानी पीने से भविष्य में बच्चे के स्वास्थ पर विपरीत असर पड़ सकता है। हम विभाग को अति शीघ्र जानकारी भेजने का प्रयास कर रहे हैं।