आखिर सब्जी विक्रेताओं को कब मिलेगा स्थाई सब्जी मंडी, रोड के किनारों पर बैठकर करते यातायात अवरुद्ध

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मयंक विश्वकर्मा,आम्बुआ

 आम्बुआ कस्बे में दैनिक रूप से ग्रामीण कृषक परिवार सब्जी बिक्री हेतु आते तो है । मगर बीते वर्षो से आज तक प्रशासनिक स्तर पर उनके लिए बैठने की व्यवस्था नहीं होने से यह धूप वर्षा तथा ठंड में सड़क किनारे बैठने को मजबूर है और ग्राहक भी धूल कीचड़ आदि से प्रदूषित सब्जियां खाने को मजबूर है कोरोना के कारण लॉक डाउन समय में जिला प्रशासन ने पंचायत प्रांगण तथा बिजली ग्रिड क्षेत्र में अस्थाई व्यवस्था की थी मगर वहां ना बैठ कर पुनः सड़क किनारे आ गए जहां स्थान कम होने के कारण जाम की स्थिति होने से दुर्घटना का भय बना रहता है। हमारे संवाददाता के अनुसार आम्बुआ कस्बे में वर्षों से ग्रामीण सब्जी विक्रेता पहले पुराने बस स्टैंड क्षेत्र में व्यापारियों तथा निजी घरों के सामने तथा सड़क किनारे सब्जी बेचते रहे। 5-6 वर्षों से नए बस स्टैंड क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग वन विभाग से लेकर बस स्टैंड तक सड़क के दोनों किनारों पर दुकानें लगाने लगे जो कि वन विभाग के सामने अंधा मोड़ है। इस कारण बस स्टैंड से स्वास्थ्य विभाग की ओर तथा इधर से बस स्टैंड की ओर जाते समय मोड पर कुछ भी दिखाई नहीं देता है । सब्जी विक्रेताओं के बैठने से यहां भीड़ हो जाती है इस कारण दुर्घटनाएं होती रहती है आज 5 जून को भी लॉक डाउन में बेरोजगार हुए बस का परिचालक जो कि फल सब्जी का व्यवसाय कर रहा है । क्षेत्र में भीड़ अधिक होने के कारण एक बाइक सवार ने किसी अन्य को बचाने के प्रयास में उसकी ठेला गाड़ी में टक्कर मार दी गनीमत यह रही कि फल विक्रेता परिचालक तो बज गया। मगर बाइक वाले को हल्की चोट जरूर लगी इसके बाद पुलिस प्रशासन ने हमेशा की तरह सब्जी विक्रेताओं पर गुस्सा निकाला और उन्हें वहां से भगा दिया ऐसी स्थिति विगत 3 माह से चली आ रही है ग्रामीण सब्जी विक्रेता सब्जी को सिर पर रखकर बाजार आते हैं लॉक डाउन आदि को लेकर उन्हें खदेड़ा जाता है घर-घर सब्जी बेचते हैं जब नहीं बिकती है तो इतना वजन उठाकर भूखे प्यासे घर चले जाते हैं या फिर रास्ते में फेक जाते हैं जिससे उन्हें मानसिक तथा शारीरिक एवं आर्थिक पीड़ा भोगनी पड़ती है ।लॉक डाउन की निगरानी आदि के लिए जिला प्रशासन के अधिकारी भी इनकी पीड़ा देख चुके हैं मगर कोई भी स्थाई व्यवस्था नहीं करा रहे हैं।आखिर इन कृषक सब्जी विक्रेता (विशेषकर महिलाओं) को कब तक धूप गर्मी तथा वर्षा में साथ सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर यह असहनीय पीड़ा झेलनी पड़ेगी।