भाजपा आदिवासियों के जीवन में दखलंदाजी बंद करेः कांग्रेस

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झाबुआ। रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा की सांसे फूलने लगी है और उसकी हिम्मत मतदान के एक पखवाड़े के पहले ही जवाब देने लगी है। इसके अलावा प्रदेश मंे भाजपा की सरकार के बड़े-बड़े दावों और मुख्यमंत्री द्वारा की गई आसमान छूती घोषणाओं पर से भी शायद विश्वास उठ गया है। इसी का नतीजा है कि वह संसदीय क्षेत्र के आदिवासियों की परंपराओं में घुसपैठ कर भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह कर उनके वोट हासिल करने के कुचक्र चला रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेता भूरसिंह अजनार, गंगाबाई, रतनसिंह भाबर, फोजदारसिंह, सुलोचना रावत, मानसिंह मेड़ा, जामसिंह डामोर, महेश पटेल, राजेन्द्र पटेल, मार्था डामोर, अनरी चोहान, कलावती गेहलोत, लक्ष्मीदेवी खराड़ी, प्रभुदयाल गेहलोद, वालसिंह मेड़ा, जेवियर मेड़ा, वीरसिंह भूरिया, रूपसिंह डामोर तथा माना भाई बड़वा, कांतिलाल बारिया आदि ने भाजपा को चेतावनी दी है कि वह आदिवासियों की संस्कृति में किसी प्रकार की दखलंदाजी करने की कोशिश न करे अन्यथा उसको आदिवासी समाज के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेताओं ने आज जारी बयान में कहा कि खरीफ की फसल आने पर दीपावली के अवसर पर आदिवासी लोग गाय गोहरी का पर्व मनाते हैं, जिसके अंतर्गत आदिवासी लोग अपनी गायों के सिंग रंगते हैं ओर उनको सजाकर पूजा करते है। यह आदिवासियों की एक पूरानी परंपरा है। भाजपा आदिवासियों के वोट लेने के लिए अपने खर्च पर आदिवासियों की गायों के सींग रंगने-रंगाने का अभियान पूरे संसदीय क्षेत्र में चला रही है। भाजपा के इस कृत्य से आदिवासियों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है और ऐसा मान रहें है कि भाजपा अपने राजनीतिक स्वार्थ को पूरा करने के लिए उनकी परंपरा की राजनीति करवा रही है। आदिवासी नेताओं ने आगे कहा कि आदिवासी भोले जरूर हैं, लेकिन उनको अपनी संस्कृति और जीवन पद्धति को बनाये रखने और अपने पर्व-त्योहारों को अपनी ही परंपरा के अनुसार मनाने में बाहरी संगठन अथवा समुदाय की दया अथवा सहायता की जरूरत नहीं है। यदि भाजपा ने सींग पोतने का यह ‘‘चुनावी गोरखधंधा’’ तत्काल बंद नहीं किया तो आदिवासी उसका कड़ा विरोध करेंगे।