झाबुआ लाइव के थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट –
दिगम्बर जैन समाज द्वारा पर्वाधीराज पर्युषण पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। पर्युषण पर्व पर ब्रह्नाचारीणी हिना दीदी ने धर्म सभा मे प्रवचन के दोरान बताया की दस धर्मो के माध्यम से भगवान से जुड़ने का अवसर प्राप्त होता है। क्षमा धर्म के माध्यम से क्रोध कषाय को धांत किया जाता है। मानव जीवनी सबसे बड़ी कठनाई ’स्वाभाव को छोड़कर विभाव’ को ही जीवन का हिस्सा मान लेता है। कलह को छोड़ क्षमा को धारण करना मान का मर्दन करना विनय गुण को धारण कर जीवन की उच्चता को प्राप्त करना। आर्लव धर्म- मिथ्याचार का त्याग करना व सरलता को धारण करना होता है। लोभ कषाय का शमन करने हेतु मन की पवित्रता, शुचिता की आवश्यकता होती है। लाभ का लोभ का कार्य कारण संबंध है। सत्य विश्वास के द्वारा ही दुनिया को जीता जा सकता है। इस प्राकार पांच दिनो मे पाचं धर्मो के स्वरुप को धर्मोपदेश द्वारा बताया गया। ब्रहमचारणी सारीका दीदी ने प्रवचन देते हुए क्षमा, मार्दव, आर्जव धर्म पर प्रवचन दिए। अभय मेहता एवं बाबूलाल मिंडा ने बताया कि पर्व के दोरान प्रातः अभिषेक, दस लक्षण पूजन, दिन मे तथ्वार्थसूत्र वाचन एवं रात्रि मे महाआरती एवं प्रवचन का आयोजन लगातार जारी है। पर्व पर समाज जनो द्वारा बड़ी संख्या मे उपस्थित हो धर्मलाभ लिया जा रहा है।
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