एमडीएम अंचल में टांय-टांय फिस्स, जांच के लिए पहुंचे अधिकारी सिर्फ रस्मअदायगी कर चले गए

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर
झाबुआ जिले में भ्रष्टाचार किस तरह हावी है इस की जड़ों ने किस तरह जिले के सरकारी तंत्र को खोखला कर रखा है इसकी बानगी देखना हो तो शिभा विभाग में चले आईए जहां पर मेघनगर विकासखंड के ग्राम बड़ा घोसलिया का है जहां प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में मध्यान्ह भोजन समूह का नाम ट्रांसफर के नाम पर 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी गई। मामले के मुताबिक 26 जनवरी से एमडीएम का भोजन पकाने को लेकर था। जिसमें स्कूल प्रभारी संगीता मकोड़ ने मेघनगर बीआरसी को स्वं सहायता समूह के माध्यम से भोजन व्यवस्था करने की बात कही गई थी। मगर उसके बाद भी भोजन बच्चों को नहीं मिला। इसके बाद जय बजरंग स्व सहायता समूह के सदस्य मन्नु भूरिया ने भोजन पकाकर बच्चों देना शुरू किया लेकिन जब पत्रक आदि में परेशानी आई तो नाम परिवर्तन व खाता ट्रांसफर के नाम पर मन्नु डामोर के समक्ष बीआरसी ने 10 हजार रुपए की मांग रख दी। तंग आकर मन्नु भूरिया ने मीडिया का सहारा लिया।
मीडिया द्वारा इस मामले को प्रमुखता से दिखाया गया उसके बाद जिम्मेदार अधिकारी हरकत में आये और इस मामले की लीपापोती करने में लग गए। शुक्रवार शाम को इस मामले में जाच करने मेघनगर बीईओ बीएन शर्मा अपनी कार में बीआरसी मेघनगर को बिठाकर जांच करने पहुंचे। मगर यहा भी मामला उल्टा रहा इस मामले में जब बीईओ शर्मा से बात की तो उन्होंने वरिष्ठ अधिकारी को इस मामले में अवगत करवाने की बात कही उसके बाद आज एशनिवार को झाबुआ से डीपीसी एनएल प्रजापत बड़ा घोसलीया स्कूल पहुंचे और करीब 3 घंटे वहा रुके मगर, जिस मामले को मिडिया ने प्रमुखता से उठाया था उस मामले को सज्ञान में न लेते हुए अन्य मामलो में शिक्षकों से बात करते रहे। इस मामले में न तो समूह के सदस्य से चर्चा भी नही की गई और नहीं मध्यान्ह भोजन को लेकर बात की गई और न ही 10 हजार की बात की गई की बीआरसी ने समूह के सदस्य से 10 हजार मांगे और क्यों मांगे। ऐसे में जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को क्यों नजर अंदाज कर रहे है। और मध्यान्ह भोजन के अंचल की दुरुस्थ स्कूलों में हाल बेहाल है और सरकार की महत्ती योजना का लाभ बच्चों तक नहीं पहुंंच पा रहा है और इसके प्रशासनिक तंत्र जिम्मेदार है।

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