धर्म के काम में शर्म नहीं करने वाले भगवान की शरण मे जाते है

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अलीराजपुर लाइव के लिए आम्बुआ से बृजेश खंडेलवाल की रिपोर्ट-
भगवान कृष्ण ने वृंदावन में रहकर वहां के ग्वाले, गोपियां, पशु-पक्षियों को अटूट प्रेम मे ऐसे जकड़ा की कान्हा कुछ पल वहां से ओझल होने पर मानो पूरे वृंदावन में मातम छा गया हो। वियोग में समस्त गोपियां कहने लगी है प्रभु तुम हमे छोड़कर क्यों चले गए, हमें आपके चरणों में ही रहने देो, गोपियों ने कहा कि कान्हा तुम वापस आ जा। वहीं आज के जमाने में शरम भी आदमी को धर्म नही करने देती। मगर धर्म के काम में शर्म नहीं करने वाले भगवान की शरण मे जाते है। इस बीच वृदांवन मे कृष्ण के परम मित्र उधव पधारे और देखा कि वृंदावन मे सभी जगहों पर शांत सा लगा उसने गोपियां से पूछा क्या हुआ वृंदावन में इतना सूनसान क्यो है? गोपियों ने कहा हमारे कृष्ष हमे छोड़ कर चला गया है हमारा शरीर यहां है मन कृष्ण के साथ चला गया, जब तक नहीं आएंगे तब तक वृंदावन में खुशी आएगी। है उधव आप कृष्ण के परम मित्र हो तुम जाकर हमारे प्रभु से केवल दो शब्द कह देना वृंदावन उनके बगैर सुना हो गया। गोपियां, पशु-पक्षी, ग्वाल-गाय आदि ने अन्य त्याग कर दिया है यहां तक कि नन्हं बच्चो ने भी भोजन त्याग दिया है। कह देना कि हम तेरे भरोसे है कृष्ण भरोसे है। इस पर भगवान कृष्ण रात 12 बजे वृंदावन मे आये और बांसुरी बजायी यह सुन गोपिया, ग्वाल, पक्षी सम्पूर्ण वृंदावन बांसुरी की धुन सुन रात्री मे ही सब वहां पहुंच गए और एक जगह एकत्रित हो कर रास रचाने लगे। ब्रह्म संबंध हुआ था इस दिन को शरद पूर्णिमा के रुप मनाते हैं। रुकमणी जी ने कृष्ण से बचपन से ही मन ही मन ब्याह रचा लिया था और कृष्ण को अपना मान लिया। मगर रुकमणी के भाई परिवार वाले प्रहलाद से विवाह करना चाहते थे। मगर उनसे अंतरू आत्मा से कान्हा को पति और पाया। इसी तरह हम भी अपने जीवन मे बचपन से प्रभु नाम का जप कर लो, तन,मन, तो तर जाएगा। साथ ये शरीर छोडऩे के बाद ये जीव भी स्वर्ग मे जाने लायक हो जाएगा।

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