नवरात्रि की अंतिम रात बारिश ने व्यावधान डाला, फिर भी जमे रहे माता भक्त जमकर खेले गरबे

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

शारदीय नवरात्र जिसका इंतजार माता भक्त वर्षभर करते है। इस नवरात्र में मां की आराधना के अलावा गरबा रास का भी विशेष महत्व बताया गया है नौ दिवसीय आयोजन का अंतिम रात को जागरण किया जाता है।

विगत दिनों से सार्वजनिक पांडालों तथा घर-घर में विराजमान नवदुर्गाओं की स्थापना घटस्थापना के साथ की गई थी  जिनकी विधिवत पूजा अर्चना की गई तथा पांडालों में रात्रि के समय गरबा खेले गए ,इस बार नवरात्र के अंतिम तीन दिन वे मौसम वर्षात ने परेशान किया विशेष कर नवमी तिथि की रात जो कि जागरण की रात रहती है इस रात भी बारिश ने व्यावधान डाला मगर  माता भक्तों के जोश को नहीं रोक पाया और रिमझिम बारिश में भी गरबा नृत्य करते रहे, आज दशमी तिथि  स्थापित घट तथा मूर्तियों एवं जवारों का विसर्जन पूर्ण विधि विधान पूर्वक जुलूस निकाल कर किया गया श्रृद्धालुओं ने भारी मन से जलाशयों में विसर्जित किया।आज दशहरे के दिन जवारों तथा मूर्तियों को विसर्जित किया गया।

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