झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
भ्रष्टाचार व पद के दुरूपयोग को लेकर पूरे प्रदेश में चर्चित रही थांदला नगर परिषद के काले कारनामों की शिकायत जब लोकायुक्त मध्यप्रदेश तक पहुंची तो लोकायुक्त ने परिषद के घोटालों से संबंधित रिकार्ड जब्त कर जांच करने के बाद प्रकरण दर्ज किया था। लंबे अंतराल के बाद अब लोकायुक्त हरकत में आया तथा मंगलवार को लोकायुक्त दल ने थांदला व झाबुआ पहुंचकर करीब एक दर्जन लोगो को समंस तामील करवाकर 30 मार्च को लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में बयान दर्ज करवाने हेतु उपस्थित होने के निर्देश दिए है।
इनको जारी किए समंस
विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त कार्यालय इंदौर ने थांदला नगरपरिषद के तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी एमआर निगवाल, वर्तमान नगर पालिका अधिकारी दितिया मेड़ा, लेखापाल ओमप्रकाश नागर, लिपिक प्रेमसिंह चारेल, नगरपालिका अध्यक्ष सुनीता वसावा, उपाध्यक्ष संगीता सोनी, भाजपा पार्षद आशुका कमलेश लोढ़ा, सुजीत भाबर, जिला पेंशन अधिकारी बलराम चौहान, आदिवासी विकास विभाग के कर्मचारी जीडी बैरागी तथा महेश राठौड को व समंस जारी कर 30 मार्च को इंदौर कार्यालय में बयान दर्ज करने हेतु उपस्थित होने के निर्देश दिए है।
लोकायुक्त ने किया था प्रकरण दर्ज
नगर परिषद में बिजली सामग्री खरीदी एवं छपाई घोटाले मे पद का दुरूपयोग व भ्रष्टाचार की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस उप अधीक्षक इंदौर ने अपराध क्रमांक 335/15 धारा 13 (1) डी, 13(2) पीसी एक्ट 1988-120 बी भादवि के तहत प्रकरण दर्ज किया था। उक्त प्रकरण के अनुसंधान से संबंधित घटनाक्रम एवं साक्ष्य की जानकारी हेतु दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 180 के तहत समंस जारी किए है।
कलेक्टर ने भी करवाई थी जांच
नगर परिषद मे बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रष्टाचार व पद के दुरुपयोग की शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर चन्द्रशेखर बोरकर द्वारा भी तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर जांच के निर्देश दिए थे। जांच के बाद भ्रष्टाचार तथ भाजपा पार्षद आशुका कमलेश लोढ़ा की पार्षद पद से अयोग्य घोषित कर हटाने के निर्देश दिए थे। जो उच्च न्यायालय से स्टे प्राप्त कर दोनों पार्षद पद पर बने हुए है। कलेक्टर ने जांच उपरांत नगर परिषद के तीन कर्मचारियो को निलंबित भी कर दिया था तथा अध्यक्ष समेत अनेक अधिकारी-कर्मचारी को संदेहास्पद माना था।
अध्यक्ष को भी माना पद के अयोग्य
तत्कालीन कलेक्टर चन्द्रशेखर बोरकर ने नगर परिषद अध्यक्ष को फर्जी जाती प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लडऩे का दोषी मानते हुए राज्य शासन से पद से हटाने की अनुशंसा की थी। कलेक्टर बोरकर ने उक्त मामले में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास झाबुआ, जिला पुलिस अधिक्षक झाबुआ तथा अनुविभागीय अधिकारी पुलिस थांदला की जांच रिपोर्ट भी संलग्न प्रस्तुत की थी जिसमें सुनीता वसावा द्वारा आदिवासी न होकर आदिवासी जाती के फर्जी प्रमाण पत्र पर चुनाव लडऩे का उल्लेख किया गया था।
आयोग में रुका मामला
नगर परिषद अध्यक्ष की फर्जी जाति की रिपोर्ट व पद से हटाने की अनुशंसा का प्रकरण अनुविभागीय जाती जनजाती आयोग मप्र भोपाल के कार्यालय में उक्त प्रकरण पेंडिंग है जिस पर पद से हटाये जाने की कार्रवाई न करने को लेकर नगर में यही चर्चा व्याप्त है कि इमानदारी का शासन-प्रशासन देने का वादा करने वाली प्रदेश की सरकार भ्रष्टाचारियों व पद के दुरूपयोग करने वालो को संरक्षण प्रदान कर रही है।
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