हर परिस्थिति में संघर्ष कर नौजवान अपने लक्ष्य को प्राप्त करे : आचार्य दयासागर

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
युवाओं के प्ररेणा स्त्रोत स्वामी विवेकानंद के नाम स्मरण मात्र से मन में चेतना का प्रवाह होने लगता है। उठो जागो और तक तक चलते रहो जब तक मंजिल नहीं मिल जाती। प्रत्येक जगह प्रतिस्पर्धा है जो संघर्ष करता है मंजिल तक वही पहुंचता है। उक्त विचार मुख्य अतिथि के रूप में वैदिक प्रचारक आचार्य दयासागर ने स्थानीय शासकीय कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित स्वामी विवेकानन्द जयंती के उपलक्ष्य पर शनिवार को कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहे। आचार्य ने कहा कि त्याग, सम्र्पण, ऋषि-संतों की ताकत, ब्रहम्चर्य व संयम के कारण जिन्होने कभी संचय को महत्व नही दिया आज दुनिया भारत की शरण में आ रही है।
संयम व त्याग के दीप जलाए-
दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों का विश्लेषण करने पर निष्कर्ष असंतोष है। अपार सपंदा यदि दूसरे के काम नहीं आए जो किसी अज्ञानी को ज्ञान नही दे सकती व्यर्थ है। हमारी भुजा की ताकत कमजोर को दबाने के लिए नहीं बल्कि दूसरो से पीडि़त व्यक्ति को बचाने में होनी चाहिए। ज्ञान व धन समाज के अन्तिम व्यक्ति को मिलना चाहिए। योग आध्यात्म-भाईचारा व परिवार का आर्य वर्त था। आचार्य ने युवाओं को वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका के बारे में बताते हुए आव्हान किया दुनिया के शक्तिशाली देश माने जाना वाला अमरिका यदी खत्म होता है तो दादागिरी खत्म होगी। जापान व चीन के खत्म होने पर टेक्नोलॉजी, राष्ट्रभक्ति, पाकिस्तान के खत्म होने पर आंतकवाद और भारत खत्म होता है तो मानवता खत्म होगी भाई -बहन का प्रेम खत्म होगा मां-बहन-बेटी का आदर्श परिवार खत्म होंगे। अपने मन में देश के प्रति समर्पण समाज में सयंम व त्याग का दीप जलाए अंधकार बहुत है उसे इस दीपक से दूर करे। महापुरूषों संतो की जयंतियां हमें यही प्रेरणा देती है। इस दौरान साहित्यकार जगदीश शुक्ला ने कहा कि शिकागो विश्व धर्मसम्मेलन में विश्व के सभी देशों को बोलबाला था लेकिन भारत की उपेक्षा स्पष्ट दिखाई दे रही थी। बावजूद इसके स्वामी विवेकानंद ने पांच मिनट का समय मांगा भारत का नाम सुनते है विश्वभर के प्रतिनिधियों ने प्रतिक्रिया की व शून्य के कहते हुए उपहास उड़ाया गया लेकिन शून्य से संपूर्ण ब्राहम्ण की व्याख्या करते हुए स्वामीजी ने विश्व के सामने वसुधैव कुटुम्बकम की भारतीय पुरातन विचार को प्रकट किया परिणाम स्वरूप विश्वधर्म सम्मेलन में भारत का वैभव स्थापित हुआ था। शुक्ला द्वारा इस दौरान अपनी स्वरचित रचना ‘है दिव्य ज्योति के ज्योतिपूंज’ से सबको मंत्रमुगध कर दिया। कार्यक्रम को पंतजली योग पीठ के योगाचार्य गुरू स्वामी विश्वामित्र द्वारा संबोधित करते हुए जीवन में योग की महत्ता पर प्रकाश डाला। कॉलेज के प्राचार्य जीसी मेहता ने कहा कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस द्वारा नरेन्द्र को विवेकानन्द बनाने वाले दैवीय वैदिक शक्ति प्रदान करने का मार्गप्रशस्त किया था परिणाम स्वरूप दुर्गम यात्रा कर शिकागो पहुंचाया था। कार्यक्रम को कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक पीटर डोडियार ने भी सम्बोधित किया गया। इस अवसर पर मुकेश बामनिया, मनोज राठौड, सुनील गणावा, मनोज ,प्रांजल, उदित शर्मा एवं ज्योति भदाले समेत बडी संख्या में स्कूल व कॉलेज के छात्र मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन नगर मंत्री मनीष मईडा ने आभार नगर अध्यक्ष अर्जुन राठौड ने माना।