मुमुक्षु विनयकुमार चपड़ोद का निकला वरघोड़ा किया वर्षीदान – सकल संघ ने किया बहुमान

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थांदला। जय जयकार – दीक्षार्थी की जय जयकार, ये दीक्षार्थी कहा चले – पापाचार मिटाने को जैसे गगन भेदी नारों के मध्य जावरा निवासी मुम्बई के विनय कुमारजी चपड़ोद का विशाल वरघोड़ा उनके ससुराल सुंदरलाल भंसाली के निवास से निकला जो नगर के मुख्य मार्गों में बैंडबाजों के साथ मुमुक्षु द्वारा वर्षीदान करता हुआ स्थानीय पौषध भवन पहुँचा और धर्म सभा में परिवर्तित हो गया इस दौरान उनका जगह जगह बहुमान भी किया गया। पौषध भवन पर विराजित प्रवर्तक श्री जिनेद्रमुनिजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती महासतियों की पावन निश्रा में मुमुक्षु की बहुमान सभा का आयोजन हुआ। 

साध्वियों का मंगल आशीर्वाद

भव में अरुचि और मोक्ष में रुचि होना मुमुक्षा भाव है जो मोक्ष के अभिलाषी को होते है और वह उसे पाने के लिए संयम में प्रविष्ट हो जाता है उक्त धर्म प्रेरक प्रवचन साध्वी संयमप्रभाजी म.सा. ने दीक्षार्थी भाई विनय कुमार चपड़ोद के लिए आयोजित बहुमान सभा में कहे। साध्वीश्री ने कहा कि उत्तम वातावरण, उत्तम निमित्त, ज्ञानियों की प्रेरणा व स्वयं का सम्यग चिंतन मुमुक्षा भाव बड़ाने में सहायक तत्व है जबकि प्रबल मोह कर्म व अज्ञान दशा संयम में बाधा उत्पन्न करते है। उन्होनें कहा कि जब जिन शासन गुरुदेव उमेशमुनिजी से किसी ने प्रश्न किया कि संसार में छोड़ने जैसा क्या है ..? तब गुरुदेव ने बड़ी ही सहजता से प्रति प्रश्न किया कि संसार में पकड़ने जैसा क्या है ..? अर्थात संसार में जितने भी दुख है उसका अनन्तवा भाग भी दुख संयम में नही है अपितु संयम में जितना सुख है उसका अनन्तवा भाग सुख भी संसार में नही है। उन्होनें कहा कि जीव जड़ का योग संसार है जबकि जीव पुद्गल का घटाव मोक्ष है जिसे मुमुक्षु विनयकुमारजी ने समझ लिया है वे गुरु चरणों मे समर्पित होकर कषायों का विसर्जन करें व आत्मगुणों का सृजन कर आत्मलक्ष्य को प्राप्त करें। साध्वीजी ने कहा कि वे आज थांदला नगर में बहुमान करवाने नही आये है अपितु स्वयं धन्ना बनकर शालीभद्र रूप भंसाली परिवार को जगाने आये है ताकि इतिहास में जैसे सालें बहनोई अमर हो गए वैसे जिन शासन की सेवा कर सके। उन्होने मुमुक्षु भाई को मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। इस अवसर पर विराजित निखिलशिलाजी म.सा. ने कहा कि विनयकुमारजी जब थांदला आये थे तब राग के रंग में रंगकर दूल्हा बनकर आये थे व दुल्हन को ले गए थे तब सबने राग के गीत गाये व बधाई दी थी परंतु इस बार वे जब वैराग्य के रंग में रंग कर आए तब सबने इनकी जय जयकार की है बस यही फर्क है संसार व संयम में। उन्होनें कहा कि अज्ञान दशा में संसार बड़ाने की स्थिति बनी जबकि आज ज्ञान दशा में संसार घटाने के भाव जागृत हो गए जिसे जग भी वंदन करता है। उन्होनें विनयकुमारजी के उत्तम भावों की प्रसंशा करते हुए सबसे कहा कि जैसे वेकेशन में सब घूमने जाते है वैसे ही गुरुदेव के सानिध्य में रहने का भी प्लान बनाना चाहिए ताकि ज्ञानदशा का विकास हो सके।

सकल जैन संघ व समाजसेवी संगठन परिवारों ने किया बहुमा

स्थानीय पौषध भवन पर साध्वीजी के मंगल आशीर्वचन के पश्चात थांदला श्रीसंघ के पूर्वाध्यक्ष नगीनलाल शाहजी, प्रकाशचंद्र घोड़ावत, रमेशचंद्र चौधरी, महेश व्होरा आदि ने शाल माला व प्रतीक चिन्ह देकर बहुमान किया वही श्री ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा, अखिलेश श्रीमाल, संदीप शाहजी ने संघ का अभिनन्दन पत्र भेंट किया। मूर्तिपूजक संघ कि ओर से अध्यक्ष कमलेश दायजी व कमल पीचा, तेरापंथ सभा से अध्यक्ष अरविंद रुनवाल, रतनलाल दक, दिनेश मेहता, संतोष श्रीमाल, दिगम्बर संघ अध्यक्ष अरुण कोठारी, बाबूलाल मिंडा, चंपालाल व्होरा परिवार, कमलेश चौपड़ा परिवार, खिरकिया संघ से दिनेश जैन व सुरेशचंद्र जैन ने बहुमान किया। धर्मलता महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती सुधा शाहजी, अनुपमा श्रीमाल ने धर्म सहायिका श्रीमती जीवनबाला, श्री संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, श्रीमती भावना बिजावत, स्वाध्यायी भरत भंसाली व ललित भंसाली ने अपने जियाजी को संयम मार्ग पर आरूढ़ होने की बधाई दी व उनके आत्मलक्ष्य की कामना व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि मुमुक्षु विनयकुमारजी चपड़ोद वर्तमान में मुम्बई में निवासरत है जो सुंदरलाल भंसाली के जमाई होकर थांदला नगर के दामाद है जो आने वाली 11 जून को गुजरात राज्य के साबरमती (अहमदाबाद) में तपागच्छ आचार्य श्री रामचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के समुदाय में आचार्य श्री विजय किर्तीयश सूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा में संयम अंगीकार करेंगें जिसकी सूचना व आमंत्रण उनके सुपुत्र हिमांशु चपड़ोद ने दी। धर्म सभा का संचालन संघ सचिव प्रदीप गादिया ने किया वही सभा में पूज्य श्री धर्मदास गण परिषद से शैलेश पीपाड़ा, देवेंद्र गादिया, युवा संगठन से प्रवीण विनायक्या, मनीष काठेड़, मिलिंद कोठारी, पूज्य श्री नन्दाचार्य साहित्य समिति से पंकज वागरेचा, कमल चोपड़ा, हेमंत चौपड़ा, ऑल इंडिया जैन जर्नलिस्ट आईजा से पवन नाहर, समकित तलेरा, जितेंद्र सी. घोड़ावत आदि मौजूद थे।

पाप घटाने से मोक्ष मार्ग की रुचि तीव्र हुई – दीक्षार्थी भाई

इस अवसर पर मुमुक्षु विनयकुमारजी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज से 40 वर्ष पहले वे जावरा से मुंबई केवल पैसा कमाने के लिए ही गए थे परंतु जैसे ही वे सद्गुरु संत के सानिध्य में आये तो उनकी प्रेरणा से पाप से पीछे हटने की रुचि जाग्रत हुई जो उनके नियमित सम्पर्क से तीव्र होती गई और आज संयम में परिवर्तित होने जा रही है। आगामी 11 जून से साबरमती से उनकी संयम यात्रा शुरू हो रही है जिसमें उन्होंने सबको मंगल आशीर्वाद के लिए आमंत्रित किया