तपस्वी अर्चना सालेचा के 31 महामृत्युंजय तप पर निकली शोभायात्रा

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2झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट-
गुरुवार को नगर की गलियां तप के तेज से दमक उठी। तपस्वी की जय जयकार से आकाश से गूंज उठा। श्वेतांबर जैन समाज की अर्चना निरंजन सालेचा ने गर्म जल के आधार पर महामृत्युंजय तप 31 उपवास की तपस्या पूर्ण की। सुबह उनके निवास पर स्नात्र पूजा पढ़ाई गई। इसके तपस्वी की शोभायात्रा निकाली गई। इसे साध्वी चारित्रकला श्रीजी की निश्रा मिली। शोभायात्रा सुभाष चौपाटी,पुराना बस स्टैंड, एमजी रोड होते हुए जिनमंदिर पहुंची, यहां तपस्वी ने देव वंदन किये। इसके बाद सरदार मार्ग एशिवाजी चौक होकर शोभायात्रा राजेन्द्र भवन पहुंची। शोभायात्रा में तपस्वी को एक सुसज्जित बग्घी में बिठाया गया था।
चांदी की पालकी में विराजित
जिनप्रतिमा की जगह जगह अक्षत से गहुली की गई।प्रमुख चौराहों पर गरबे किये गए। तप अनुमोदन व अभिनन्दन सभा राजेन्द्र भवन में हुई। साध्वी मंडल को सविधि वंदन किया गया।गुरु वंदन डिंपल जैन ने करवाया। साध्वी श्री के मंगलाचरण से सभा की शुरुआत हुई।सुरेश समीर ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया।अध्यक्ष दिलीप सकलेचा, चातुर्मास समिति अध्यक्ष राजेन्द्र सियाल ने तप अनुमोदन में विचार व्यक्त किये। विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक शांतिलाल बिलवाल, मनोहर सेठियाएथावरसिंह भूरिया थे। इनका स्वागत रमेश चन्द्र नाहर एदिलीप सकलेचा, राजेन्द्र सियाल प्रदीप भंसाली ने किया।अभिनन्दन पत्र का वाचन प्रदीप भंसाली ने किया। तपस्वी को अभिनन्दन पत्र अनिल सेठ, रखबचन्द कटारिया, मोतीलाल सालेचा, मदनलाल नाहर, दिनेश नाहर आदि ने भेंट किया।अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक, महिला- तरुण, बालिका परिषद, वेयावच समिति की ओर से तपस्वी का बहुमान हुआ।संचालन कमलेश नाहर ने किया।आभार महेश जैन ने माना। सालेचा परिवार की ओर से प्रभावना व स्वामी वात्सल्य भी हुआ।
तप आत्मा को निर्मल बनाता है..
साध्वी चारित्र कलाश्रीजी ने अपने प्रवचन में तप व नमस्कार महामन्त्र की महिमा के साथ राखी के त्योहार की कथा भी सुनाई। उन्होंने कहा कि तप करने वाली आत्मा निर्मल हो जाती है ।नमस्कार महामन्त्र का पहला शब्द नमो जीवन में सबको नमना सिखाता है।नमो गुण को आत्मसात करने वाली आत्मा मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होती है।विनय गुण के अभाव में दूसरे सभी गुण व्यर्थ है।ममता टूटने पर जीवन में समता आती है वही मोक्ष की ओर ले जाती है। साध्वी श्री ने कहा कि जैन धर्म लोकोत्तर पर्व को प्रधानता देता है।जैन धर्म के सभी पर्व राग द्वेष छोड़कर त्याग व तप को महत्ता देते है।