EXCLUSIVE: किसानो की मेहनत की कमाई खाने वाले गए सलाखो के पीछे..

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live
पेटलावद। किसानो की मेहनत की कमाई खाने वाले अनाज व्यापारी आखिरकार 6 दिन बाद जेल की सलाखो के पीछे पहुंच ही गए। न्यायाधीश ने गुरूवार को तीन लोगो को जेल भेजने के आदेश दिए।
जानकारी के मुताबिक पेटलावद पुलिस ने गुरूवार को किसानो के साथ धोखाधड़ी करने वाले आरोपी निर्मल और उसके पुत्र सहित सहआरोपी पंंकज पटवा को न्यायालय में पेश किया था। जहां से न्यायाधीश ने उन्हें जेल भेज दिया। जांच अधिकारी श्री वास्कले ने बताया कि मामले में निर्मल द्वारा पंकज पटवा, मनीष पटवा, अनुपम पटवा और अभिषेक उर्फ पमपम पटवा के नाम अपने बयान में दिए थे। इसके बाद पुलिस ने इन चारो को सहआरोपी बनाया था। हालांकि इसके बाद पंकज तो पुलिस की पकड़ में आ गया, लेकिन बाकि बचे तीन सहआरोपी भूमिगत हो गए। हालांकि पुलिस का दावा है कि जल्द ही ये तीनो सहआरोपी पुलिस गिरफ्त में होंगे।
अभी और भी नाम खुलने की आशंका-
पुलिस सूत्रो की माने तो इस मामले में सहआरोपीयो की संख्या में इजाफा हो सकता है। अभी केवल 4 लोगो को ही इस मामले में सहआरोपी बनाया है। निर्मल द्वारा दी गई लिस्ट के मुताबिक कई बड़े सटोरियो एवं बुकी भी शामिल हो सकते है। इन पर पुलिस की खुफिया नजर बनी हुई है। अलग-अलग टीमे इनके पीछे लगी हुई है।
यह था पूरा मामला-
पेटलाद के अनाज व्यापारी निर्मल मेहता ने किसानो से उनकी फसल खरीदकर उन्हें उनकी राशि नही लोटाई थी और फरार हो गया था, जिसके बाद अंतत: शनिवार को पुलिस को किसानो के दबाव के आगे झूकना पड़ा और अनाज व्यापारी निर्मल मेहता सहित उसके पुत्र वैभव मेहता, उसे भाई निलकमल मेहता और एक ओर बामनिया के व्यापारी अशोक पटवा के खिलाफ धारा 420 और 406 के तहत प्रकरण दर्ज किया। जिनमे निर्मल और पुत्र वैभव मेहता पुलिस गिरफ्त में थे और जेल जा चुके है। बाकि दो आरोपी फरार है। वहीं तीन सहआरोपी भी फरार चल रहे है। पुलिस को उम्मीद है कि अगले एक-दो दिनो में पुलिस इन दोनो फरार आरोपियो को पकडऩे में सफलता हासिल करेगी।
यह था इसके पीछे का राज..?-
सूत्रो के मुताबिक निर्मल मेहता बामनिया के व्यापारी अशोक पटवा से सिल्लक लेकर गांव-गांव अनाज खरीदने जाया करता था। रामगढ़ में निर्मल और उसके पुत्र वैभव ने पहुंचकर किसानो से उनकी उपज खरीदने के लिए बात की और एक दिन टेंपो लेजाकर वे करीब 15 किसानो की उपज खरीदकर ले आए और रूपए अगले दो-तीन दिनो में देने की बात कर आए। अब अशोक पटवा को इन्होने सारी उपज बेच दी और उपज के पैसे अपने पास ले आए, इसके बाद उन्होनें इन रूपयो को क्रिकेट सट्टे और अन्य सट्टे में लगा दिए और हार गए और इनके पास फूटी कोड़ी भी नही बची, जो रूपए इनके सटोरिए के पास जमा थे वह उन्होने नही दिए। जिसके बाद इनके पास ऐसा कोई रास्ता नही बचा जिससे कि वह किसानो की उपज के पैसे दे सके।