जुम्मे की नमाज में हुई तकरीर, इमाम बोले- जकात से पाक होता माल, तिजारत में बरकत

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Salman Shaikh@ Petlawad

शुक्रवार को दोपहर 12.45 बजे जुमा की अजान हुई। सभी रोजेदार मुस्जिम समाजजन अपने काम-काज छोडक़र मस्जिद में पहुंच गए। अजान के बाद सुन्नत अदा की। इस दौरान जामा मस्जिद के ईमाम अब्दुल खालिक साहब ने रजमान माह की अहमियत पर अपने नूरानी बयान पेश किए।

ईमाम साहब ने तकरीर फरमाते हुए बताया रमजान माह में जकात निकालना हर मुसलमान पर फर्ज है। जकात निकालने से माल पाक होता है और तिजारत में बरकत होती है। उन्होंने कहा कि समय पर जकात देकर जरूरतमंद को ईद की तैयारियों में मदद करनी चाहिए।

ईमाम साहब ने बताया जकात इस्लाम के पांच जरूरी अरकान अल्लाह रसूल पर ईमान लाना, नमाज, रोजा और हज की तरह फर्ज हैं। जकात उस पर फर्ज यानी अनिवार्य है, जो साहब-ए-नेसाब (शरई तौर पर सक्षम) हैं। अल्लाह ने जिसे सोना-चांदी, धन-दौलत और कारोबारी संपत्ति दी है, उस पर शरियत के अनुसार जकात निकालना फर्ज है। वे अपने जकात वाली कुल धन संपत्ति की ढाई फीसदी राशि गरीब और जरूरतमंदों को दें।

उन्होंने कहा कि शरियत के अनुसार अमीरों और संपन्न लोगों की धन-संपत्ति पर जकात के रूप में गरीबों और जरूरतमंदों का हक है। जकात साल में एक बार अदा करना होता है लेकिन रमजान में जकात निकालने का फायदा यह है कि इस माह में हर नेकी का 70 गुना अधिक सवाब मिलता है। जहां इबादत कर लोग खुद के लिए नेकी करते हैं, उसी तरह जकात के माध्यम से दूसरों की मदद की जाती है। शरियत में धनवानों के धन पर गरीबों का तय हिस्सा है। लोगों का भ्रम हो सकता है कि जकात निकालने से उनके धन-संपत्ति में कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं है। अल्लाह इसका बदला जरूर देता है। माल दौलत में बरकत होती है।

आसपास के इलाको से भी पहुचें नमाजी-

शुक्रवार को दूसरे अशरा का पहला दिन था। साथ ही रमजान शरीफ का दूसरा जुमा भी। इसे लेकर मस्जिदों में रोजेदारों और नमाजियों की भीड़ उमड़ी। काफी तादाद में शहर सहित आसपास केबाहरी ईलाको से लोग शहर की जामा मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने पहुंचे। जिसमें सारंगी, करवड़, रायपुरिया, झकनावदा, बोलासा, बामनिया, थांदला, झाबुआ, बदनावर, रतलाम आदि जगह के लोग शामिल हुए।