ईको फ्रेंडली होली: पानी को इंकार, सूखे रंगों की फुहार

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सलमान शैख़ @ पेटलावद

पानी बचाने के संकल्प के साथ गुरुवार को सूखों रंगों से होली खेलकर शहर ने त्योहार की नई परंपरा की नींव रख दी। अधिकांश लोग सूखी होली के रंग में रंगे नजर आए। रंग से बचकर निकलने वाले को यही कहकर बुलाना पड़ा कि घबराओ नहीं, सिर्फ तिलक लगाएंगे। शहर सहित पूरे अंचल में रंगों का त्योहार उत्साह व उमंग के साथ मनाया गया। जल संरक्षण के लिए लोगों ने अबीर-गुलाल का तिलक लगाया और एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएं दी। त्योहार पर रंगों की परंपरा कायम रही, बस कुछ नया था तो तिलक लगाने के साथ सूखे रंगों का प्रयोग। पानी सहेजने के लिए लोगों ने जागरूकता का परिचय दिया। बच्चों और युवावर्ग ने भी गुलाल से एक-दूसरे के गाल लाल किए और पानी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नगर के अंबिका चौक, गणेश चौेक, सुभाष मार्ग आदि स्थानो पर होली जलाने के बाद दूसरे दिन वहां मूक पशु श्वान, गाय आदि के लिए बाटी बनाए जाने की परंपरा है। धुलेंडी पर गुलाल उड़ाकर होली मनाई गई।
30 से अधिक स्थानो पर हुआ होलिका दहन-
नगर में 30 से अधिक स्थानो पर होलिका दहन किया गया। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस प्रशासन बुधवार रातभर चौकस रहा। गांधी चौक, नया बस स्टैंड, शंकर मंदिर, गणेश चौक, जवाहर मार्ग, अंबिका चौक, राजापुरा, सुभाष मार्ग, भेरू चौक, भोई मोहल्ला, साईं मंदिर चौक, तलावपाड़ा, निलकंठ कॉलोनी आदि जगह पूजन के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन हुआ।
थिरकते हुए निकले युवा
शहर में होली पर बच्चे, महिलाएं, युवा सहित अन्य लोग अलग-अलग टोलियां बनाकर निकले। कुछ में बकायदा ढोल भी शामिल हुआ और शामिल लोग उसकी थाप पर थिकरते हुए निकले। दूसरी ओर शहर के मुख्य मार्ग पर सडक़े एकदम सूनी पड़ी है। बाजारो में सन्नाटा पसरा पड़ा है।
सुबह से सूनसान रही सडक़े-
धुलेंडी पर एक ओर गली-मोहल्लों में रंगो की बोछारे हो रही थी वहीं दूसरी ओर शहर के मुख्य मार्ग पर सडक़े एकदम सूनी पड़ी रही। दिनभर बाजारो में सन्नाटा पसरा रहा। देर शाम बाद बाजार में चहल-पहल नजर आई।

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