तड़वीयों और सरपंचों ने भी लिया हलमा में शामिल होने में संकल्प

नहीं करेंगे 25-26 फरवरी को कोई अन्य सामाजिक कार्यक्रम

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विपुल पांचाल@झाबुआ Live

कल शिवगंगा उद्यमिता एवं कौशल विकास केंद्र मेघनगर में थांदला और मेघनगर के 200 तड़वी और सरपंचों ने भाग 25-26 फरवरी को हो रहे विशाल हलमा को लेकर बैठक की। सबने अपने-अपने गाओं से शामिल होने की सहमति दी और इस वर्ष के हलमा के माध्यम से इस श्रेष्ठ सामाजिक परंपरा को ग्राम स्तर पर बलवती करने का संकल्प लिया।

“राखड़िया गाँव के तड़वी पूनिया जी ने कहा हलमा हमारे समाज की महान परंपरा है जो आज देश दुनिया को मिलकर देश के लिए काम करने की प्रेरणा दे रही है। हलमा हमारी सामाजिक जवाबदारी है। हम 25-26 फरवरी को गाँव को कार्यक्रम तय नहीं करेंगे और पूरे गाँव के साथ हलमा करने हाथीपावा पर आएँगे। उन्होंने सभी से आह्वान किया ‘हम सपरिवार हलमा मा जायरा, तमु भी गैंती फावड़ा तगारी लीन आवज्यो’।”

बेड़ावली गाँव के पूर्व सरपंच, बाबू मचार ने सभी सरपंचों को इस बैठक के लिए आमंत्रित किया और सभी के साथ संकल्प लिया हम सभी इसमें गाँव के शामिल होने की व्यवस्थाओं का ध्यान रखेंगे और बड़ी सँख्या में हमारे समाज की गौरवशाली परंपरा में शामिल होंगे।

शिवगंगा के प्रवक्ता विजेंद्र अमलियार ने बताया,
“4 फरवरी को शिवगंगा गुरुकुल धरमपुरी में झाबुआ जिले के 3 तहसीलों (झाबुआ, रामा, राणापुर) 250 तड़वीयों और सरपंचों ने भी यही संकल्प लिया।
इस प्रकार से आलीराजपुर जिले के तड़वी-सरपंचों का सम्मेलन 12-14 फरवरी को आलीराजपुर में होने वाला है।”

तड़वी, भील समाज में गाँव के पारंपरिक मुखिया होते हैं।सामाजिक परंपराओं के संरक्षण और वहन में गाँव के तड़वी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सही अर्थों में तो तड़वी अपने गाँव के पालक की भूमिका निभाते हैं।

सम्मेलन में रूपगढ़ गाँव के भीमा भाई, नागनखेड़ी के तड़वी वालजी भाई, ढाढनिया के तड़वी वलु भाई भूरिया, और पद्मश्री महेश शर्मा जी समेत अनेक झाबुआ के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।