E’XCLUSIVE: किसानो को लेकर फेसबुक पर बैंक ऑफिसर ने की आपत्तिजनक टिप्पणी

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झाबुआ Live@ डेस्क
शासन-प्रशासन गरीब किसानो को खुशहाल रखने के लिए कोई कसर नही छोड़ते, लेकिन दूसरी ओर बैंको में खुलेआम इन किसानो से बद्तमीजी और अभद्र व्यवहार किया जाता रहा है। पेटलावद की बैंक ऑफ बड़ौदा को ही ले लिया जाए तो यहां के हालात यह है कि अमीर और धनी व्यक्ति को सम्मान मिलता है और गरीब किसानो को प्रताडऩा मिलती है। जब ऐसे मामले मीडिया में आते है तो यह कर्मचारी मीडिया को अपनी भूमिका समझाने लग जाते है, लेकिन इन्हें यह नही पता कि मीडिया को यूं ही लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नही कहा गया है।
ताजा मामला बैंक ऑफ बड़ौदा के एक कर्मचारी की बद्जुबानी को लेकर सामने आया है। दरअसल, 29 अप्रेल को झाबुआ लाईव द्वारा ग्राम कोदली की महिला किसान रामकन्या पाटीदार से बैंक कर्मचारी द्वारा की गई प्रताडऩा को लेकर समाचार प्रकाशित किया गया था। जिसमें बैंक के कर्मचारियो ने इसलिए उसके सेविंग अकाउंट में जमा हुए प्याज के 76 हजार रूपए पर रोक लगा दी थी, कि उसका कर्ज बाकि था। जब सरकार ने कर्जमाफी की योजना लागू की थी, तो सभी बैंको से कर्ज वालो की लिस्ट मांगी थी, लेकिन फिर इस किसान का कर्ज कैसे रह गया।
फेसबुक पर खबर पोस्ट के बाद ऑफिसर की आपत्तिजनक टिप्पणी-
जब हमारे द्वारा यह खबर सोशल साईट्स फेसबुक पर पोस्ट की गई तो बैंक में ऑफिसर के पद पर पदस्थ हिमांशु परिहार ने आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। टिप्पणी में उन्होंने लिखा कि जो किसान ऋण लेते है वह जानबूझकर चुकाते नही है। अब इन ऑफिसर को कौन बताए कि अगर किसी किसान ने बैंक से लोन लिया है और फसल बोई, फसल पक भी गई, लेकिन अगर प्राकृतिक आपदा अचानक आ गई और उसकी फसल नष्ट हो गई तो भला वो किसान कैसे कर्ज चुका पाएगा।
इस ऑफिसर ने झाबुआ लाईव पर यह आरोप लगाया कि जो समाचार लगाया गया उसमे एक पक्षीय रिपोर्टिंग की है, दूसरी तरफ आप लिखना नही चाहते है, क्योकि यह आपकी कहानी को हल्का कर देगा, जबकि उन्हें नही पता कि उक्त समाचार में बकायदा बैंक का पक्ष रखने के लिए उनके बैंक मैनेजर से वर्जन लिए गए थे। इतना ही नही यह साहब यही पर नही रूके..उसने यह तक लिख डाला कि मीडिया को कभी बैंक वालो के साथ जाकर देखना चाहिए कि किस तरह लोग बैंक का कर्ज चुकाने में आनाकानी करते है। अब यह मीडिया को बताएंगे कि मीडिया को क्या करना चाहिए और क्या नही।
मैं छुट्टी पर हूं शाखा आकर ही बात कर सकता हूं-
इस संबंध में हमने बैंक मैनेजर श्रीवास्तव से चर्चा करनी चाही, लेकिन उन्होने छुट्टी का हवाला देते हुए कह दिया कि वह अभी छुट्टी पर है, शाखा आकर ही बात कर सकता हूं।
मैने किसानो को लेकर नही लिखा ये सब-
इस मामले में जब हमने ऑफिसर हिमांशु परिहार से बात कि तो उनका कहना था कि मैंने किसानो को लेकर ये सब नही लिखा। मेरे लिखने का मतलब कुछ ओर था।