हायर सेकेंडरी स्कूल भवन हुआ जर्जर, छत से पानी व सीमेंट कॉन्क्रीट के टुकड़े गिरने से आज फिर पढ़ाई से वंचित 600 छात्र

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 भूपेंद्र सिंह नायक@पिटो

पिटोल हायर सेकेंडरी स्कूल भवन पूर्ण रूप से जर्जर हो चुका है। कब धराशाई हो जाए कोई कह नहीं सकता ?कब न जाने कितने नौनिहाल की जान जोखिम में चली जाए। इससे पहले ही अगर विभाग सुध ले ले तो शायद इन बच्चों का भविष्य उज्जवल रहेगा। पिटोल में दो-तीन दिन से सतत बारिश हो रही है और आज रात भर बारिश होने की वजह से हर सेकेंडरी भवन की छत से सीमेंट कंक्रीट के बड़े-बड़े टुकड़े गिरने से एवं छतो से भारी पानी टपकने के कारण आज फिर स्कूल में बच्चों की छुट्टी कर दी जब बच्चे स्कूल पहुंचे तब स्कूल के पदस्थ कर्मचारी भृत्य द्वारा बच्चों को छत गिर जाने के एवं स्कूल में बैठना जान जोखिम होने का हवाला देकर रवाना किया गया। क्योंकि वर्तमान में हायर सेकेंडरी स्कूल भवन पूर्ण रूप से जर्जर हो चुका है। बच्चों के स्कूल मैं बैठने के कमरों की बात तो दूर पर स्कूल स्टाफ के बैठने का कमरा भी पूरी तरह से टपक रहा है ।स्टाफ रूम में रखा कंप्यूटर भी प्लास्टिक से ढका हुआ है जिस रूम में भी जाओ पूरा रूम टपक रहा है जिससे वहां रखा सामान फर्नीचर भी खराब हो रहा है। छत पर लगे पंखे बरसाती पानी घुसने की वजह से जल गए हैं।अब समस्या यह है कि स्कूल के बच्चे और स्टाफ कैसे इस भवन में अपनी जान जोखिम में डालकर बैठे।

[मिडिल स्कूल भवन भी पूरी तरह से जर्जर हो गया 

: हायर सेकेंडरी भवन सन 90 के आस-पास बना था परंतु मिडिल स्कूल भवन तो अभी कुछ वर्षों पूर्व ही बना है परंतु और भवन की स्थिति भी बहुत खराब है उसकी छत कब गिर जाए पता नहीं मिडिल स्कूल के कमरों की छत और दीवार के बीच काफी दरार पड़ी हुई है जिसे अभी मरम्मत करा कर चलाया जा रहा है परंतु पानी तो अभी भी मिडिल स्कूल के कमरों में टपकता है। तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ अनुराग चौधरी ने जब झाबुआ में पदभार ग्रहण किया ।उसी दिन इसी स्कूल का मुआयना किया तब उन्होंने मिडिल स्कूल में पदस्थ रहे स्कूल प्रभारी एवं निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे परंतु आज तक मिडिल स्कूल के निर्माण की नहीं तो जांच हुई और नहीं कोई कार्रवाई के कारण आज मिडिल स्कूल के 300 बच्चों की जान पर आफत आ सकती है
[5 से 8 किलोमीटर दूर के गांव से आते हैं छात्र
पिटोल हायर सेकेंडरी स्कूल पर अध्ययनरत बच्चे पिटोल से पांच से 8 किलोमीटर दूर दराज गांवों से आते हैं और जब स्कूल आकर पता चलता है कि आज स्कूल नहीं लगेगी तब निराश होकर बरसात में भीगते हुए लौटना पड़ता है अगर शिक्षा विभाग इतने संवेदनशील मसले पर अनदेखी करता है तो इन आदिवासी बच्चों का भविष्य कैसे

उज्जवल होगा यह एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह

[19 जुलाई को जब इस विषय में जिला शिक्षा विभाग आयुक्त प्रशांत आर्य साहब से इस विषय में चर्चा की गई थी। तब उन्होंने 5 दिन में नए भवन में स्कूल की कक्षाएं स्थानांतरित करने का कहा था परंतु आज तक इस बारे में कुछ भी नहीं हुआ उसका परिणाम यह है कि बारिश के वक्त बच्चों को पढ़ाई से वंचित रहना पड़ रहा है अभी और 2 महीने बारिश का मौसम रहेगा और इस प्रकार भविष्य के नौनिहालों को स्कूल की स्थिति में पढ़ाई करने को मजबूर रहना पड़ेगा।

 [जिम्मेदार बोले

[ ऊपर शिक्षा विभाग से यह आदेश है कि जर्जर भवन में बच्चों को ना बिठाया जाए कोई भी जनानी हो सकती है। -संतोष खेडेकर प्राचार्य पिटोल