सात दिवसीय भागवत कथा का हुआ समापन,  महाशिवरात्री के पर्व पर धुमधाम से कथा मे हुआ शिव पार्वती विवाह

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राज सरतलिया, पारा 

करिब 10 किलोमीटर दुर ग्राम रोटला मे धर्म रक्षक सेवा समिति के तत्वादान मे वृंदावनधाम के महामण्डलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती के मुखारविंद से श्रीमद भागवत कथा व राजराजेश्वरी ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया सात दिनो तक चली इस कथा व यज्ञ का समापन गुरुवार को हुआ।
श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन आज महामण्डलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने हलधर धारी भगवान बलराम की कथा को विस्तार से बताते हुवे कहा कि प्राचीन काल से समस्त मानव जाती खेत जोतने के पुर्व हल की पुजा करती हे। यह हल भगवान श्रीकृष्ण के बडे भाई बलराम का शस्त्र हे। हल भी सनातन धर्म का प्रतिक हे। हल से ही संसार की समस्त चल अचल प्राणीमात्र का कल्याण हुआ हे। वही महाशिवरात्री के पावन पर्व पर भगवान भोलेनाथ व माता पार्वर्ती की कथा को उपस्थित श्रद्धालुओ बताया कि किस तरह माता पर्वर्ती ने तपस्या कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया। बाद मे राजा हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भोलनाथ से कर दिया। इस प्रसंग के अवसर पर शिव पार्वती की झांकी भी सजा कर शिव बारात निकाली गई व शिव पार्वती का विवाह भी करवाया । जिसका धर्म प्रेमी जनता ने खुब आनंद लिया व शिव भक्ति मे डुब कर नाचने लगें। कथा के अंतिम दिन क्षेत्र से सांसद गुमानसिह डामोर ने व प्रांतीय प्रचारक वेभव भी सुरंगे जिला अध्यक्ष ओम शर्मा कृष्णपालसिह गंगाखेडी दिलीप मेडा, दिनेश अम्लीयार ने भी कथा स्थल पर पहुच कर महामण्डलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती से आशिर्वाद लिया।  सात दिनो से चल रही इस कथा मे प्रतिदिन पंच कुण्डीय राजराजेश्वरी ज्ञान यज्ञ भी किया जा रहा था । जिसकी पुर्णाहुति भी गुरुवार को हुई। पुर्णाहुित के पश्चात महा प्रसादी मे विशाल भण्डारे का भी आयोजन किया गया था जो कि देर रात्री तक चला। भण्डारे कि महा प्रसादी का करिब दस हजार से भी ज्यादा लोगो लाभ लिया। इस अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि अगले वर्ष जब भी इस क्षेत्र मे भागवत कथा होगी उसमे कृष्ण रुकमणी विवाह के प्रसंग पर 11 जोडे का विवाह भी कथा स्थल पर वेदिक पद्धति से निःशुल्क किया जावेगा। जो भी बंधु इसका लाभ लेना चाहते वे धर्म रक्षक समिति के प्रमुख वालसिह मसानिया से समपर्क कर सकते हे।