शासन व स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते स्टाफ की कमी से जूझ रहा है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मरीज परेशान

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भूपेंद्रसिंह नायक, पिटोल
जहां सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के स्वास्थ्य के लिए लाखों करोड़ों रुपए का बजट पास होता है ताकि गरीबों को समुचित समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल जाए परंतु झाबुआ क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रसूति करवाने एवं अन्य बीमारियों से आमजन को राहत देने वाला पिटोल के स्वास्थ्य केंद्र पर प्रशासन की आंखे टेढ़ी हो जाने के कारण यहां आम जनता को काफी परेशानियों से का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि झाबुआ क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रस्तुति पिटोल स्वास्थ्य केंद्र पर होती है 1 महीने में करीब 300 प्रसूति का आंकड़ा पार हो जाता है जबकि जिला अस्पताल में भी महीने में करीब 150 से 200 प्रस्तुतियां होती है जबकि पिटोल स्वास्थ्य केंद्र पर इन प्रस्तुतियों को कराने के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर मात्र दो एनएम नर्स एवं एक मेडिकल ऑफिसर कार्य कर रहे हैं जिससे प्रसूति वाली महिलाओं और उनके परिजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से कई महिलाएं गुजरात के दाहोद एवं निजी चिकित्सकों के यहां प्रसूति कराने को मजबूर है।
इतनी प्रस्तुतियां और अन्य बीमारियों की देखरेख के लिए पिटोल स्वास्थ्य केंद्र पर 21 से ज्यादा का स्टाफ की जरूरत है क्योंकि स्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटे ही प्रस्तुतियां वाली महिलाएं आती है उन्हें संभालने के लिए 24 घंटे के लिए एक डॉक्टर 2 एमएम नर्स एक ड्रेसर से ही कार्य चल या जा रहा है। एक लैब टेक्नीशियन था वह भी चला गया है अब सवाल यह उठता है कि इतनी ओपीडी एवं प्रस्तुतियों के लिए एक डॉक्टर और दो नर्स के भरोसे कैसे और कितना कार्य कर पाएंगे। वर्तमान में यहां पर पदस्थ नर्सों का भी अन्यत्र स्थानांतरण कर दिया जिससे भी यहां की व्यवस्थाएं चरमरा गई है स्वास्थ्य परिसर में रहने वाली नर्स कविता नायक का स्थानांतरण राणापुर हो गया जबकि वह परिसर में निवास करने की वजह से हर समय अपनी सेवाएं दे रही थी। अगर समय रहते हैं स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन ने स्टाफ की वृद्धि नहीं की तो स्थिति गंभीर हो जाएगी

डॉक्टर की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है
स्टॉप चाहिए 21 का वर्तमान में केवल सात ही है। यूं तो पिटोल स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर की की ड्यूटी 9 बजे से से 4 बजे तक तक की होती है परंतु कोई दूसरा डॉक्टर नहीं होने की वजह से एक ही डॉक्टर को हर समय अपना कर्तव्य निभाना पड़ता है। क्योंकि पिटोल से राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरने के कारण प्रतिदिन कोई न कोई दुर्घटना होने वाले पेशेंट को देखना पड़ता है चाहे वो रात में भी क्यों ना आ जाए स्वास्थ्य केंद्र पर स्थिति तब खराब होती है। जब पदस्थ डॉक्टर अंतिम बडोले किसी ट्रेनिंग के लिए 5 या 10 दिन के लिए मुख्यालय छोड़कर बाहर चले जाएं या पुलिस केस की डायरी मैं कोर्ट में गवाही के लिए जाएं। पिटोल क्षेत्र में कोई दुर्घटना हत्या या आत्महत्या से मर जाए उसका पीएम करने के लिए भी डॉक्टर को झाबुआ जाना पड़ता है तब दुरुस्थ गांव से आए ग्रामीण जब तक डॉक्टर वापस स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं आता तब तक परेशान होते हैं। मध्य प्रदेश के शासन अनुसार 1 सितंबर से एक नया प्रोग्राम स्वास्थ्य विभाग में चालू किया है हेल्थ वैलनेस सेंटर में मरीजों को देखने के लिए प्रति गुरुवार गांव नरवरिया में जाना पड़ेगा जिसकी वजह से पिटोल में आए मरीजों को डॉक्टर के नहीं होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ेगा या डॉक्टर अपने पारिवारिक एवं अपने निजी कार्य हेतु बाहर जाते हैं तो स्वास्थ्य केंद्र पर बीमारियों की जांच करने के लिए कोई भी एमबीबीएस या आयुष डॉक्टर की नियुक्ति नहीं है जिसके कारण पिटोल के आसपास के करीब 25 गांव के लोगों को भटकना पड़ता है और मजबूरी में निजी चिकित्सकों के यहां इलाज के लिए जाना पड़ता है इस प्रकार जब महिलाएं प्रसव पीड़ा में होती है परंतु समय पर स्टाफ नहीं होने से मजबूरी में निजी चिकित्सकों या गुजरात दाहोद में प्रसूति के लिए जाना पड़ता है जबकि यहां मेडिकल ऑफिसर एक आयुष मेडिकल ऑफिसर एक अकाउंटेंट एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर एक फार्मासिस्ट एक आयुष फार्मासिस्ट एक स्टाफ नर्स तीन स्वास्थ्य कर्मी महिला एक स्वास्थ्य कर्मी पुरुष एक लैब टेक्नीशियन एक ड्रेसर और स्वीपर आदि 21 लोगों के स्टाफ को की जरूरत है परंतु अभी केवल इनमें से 7 लोग ही रात दिन अपना कार्य कर रहे हैं

डॉक्टर की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है
यूं तो पिटोल स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर की की ड्यूटी 9 बजे से से 4 बजे तक तक की होती है परंतु कोई दूसरा डॉक्टर नहीं होने की वजह से एक ही डॉक्टर को हर समय अपना कर्तव्य निभाना पड़ता है। क्योंकि पिटोल से राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरने के कारण प्रतिदिन कोई न कोई दुर्घटना होने वाले मरीज को देखना पड़ता है चाहे वो रात में भी क्यों ना आ जाए स्वास्थ्य केंद्र पर स्थिति तब खराब होती है जब पदस्थ डॉक्टर अंतिम बडोले किसी ट्रेनिंग के लिए 5 या 10 दिन के लिए मुख्यालय छोड़कर बाहर चले जाएं या पुलिस केस की डायरी मैं कोर्ट में गवाही के लिए जाएं पिटोल क्षेत्र में कोई दुर्घटना हत्या या आत्महत्या से मर जाए उसका पीएम करने के लिए भी डॉक्टर को झाबुआ जाना पड़ता है तब दुरस्त गांव से आए ग्रामीण जब तक डॉक्टर वापस स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं आता तब तक परेशान होते हैं मध्य प्रदेश के शासन अनुसार 1 सितंबर से एक नया प्रोग्राम स्वास्थ्य विभाग में चालू किया है हेल्थ वैलनेस सेंटर में मरीजों को देखने के लिए प्रति गुरुवार गांव नरवरिया में जाना पड़ेगा। इस वजह से पिटोल में आए मरीजों को डॉक्टर के नहीं होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ेगा या डॉक्टर अपने पारिवारिक एवं अपने निजी कार्य हेतु बाहर जाते हैं तो स्वास्थ्य केंद्र पर बीमारियों की जांच करने के लिए कोई भी एमबीबीएस या आयुष डॉक्टर की नियुक्ति नहीं है जिसके कारण पिटोल के आसपास के करीब 25 गांव के लोगों को भटकना पड़ता है और मजबूरी में निजी चिकित्सकों के यहां इलाज के लिए जाना पड़ता है इस प्रकार जब महिलाएं प्रसव पीड़ा में होती है परंतु समय पर स्टाफ नहीं होने से मजबूरी में निजी चिकित्सकों या गुजरात दाहोद में प्रसूति के लिए जाना पड़ता है जबकि यहां मेडिकल ऑफिसर एक आयुष मेडिकल ऑफिसर एक अकाउंटेंट एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर एक फार्मासिस्ट एक आयुष फार्मासिस्ट एक स्टाफ नर्स तीन स्वास्थ्य कर्मी महिला एक स्वास्थ्य कर्मी पुरुष एक लैब टेक्नीशियन एक ड्रेसर और स्वीपर आदि 21 लोगों के स्टाफ को की जरूरत है परंतु अभी केवल इनमें से 7 लोग ही रात दिन अपना कार्य कर रहे हैं।

प्रतिनिधियों से पिटोल क्षेत्र के लोगों की है आशाएं
पिटोल नगर का स्वास्थ्य केंद्र वर्तमान में स्टाफ एवं अन्य समस्याओं से जूझ रहा है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को समस्या को संज्ञान में लेकर समस्या का समाधान प्रशासन कराना चाहिए। आम गरीब आदिवासी निजी चिकित्सालय का खर्च कैसे वहन करेगा जबकि शासन प्रशासन द्वारा गरीबों के स्वास्थ्य के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने क्या ढिंढोरा पीटा जाता है।

जिम्मेदार बोले
मेरे संज्ञान में यह समस्या आज आई है । मैं पिटोल स्वास्थ्य केंद्र पर अति शीघ्र स्टाफ को नियुक्त करने की कार्रवाई करवाऊंगा। -गुमान सिंह डामोर सांसद रतलाम झाबुआ अलीराजपुर
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पिटोल स्वास्थ्य केंद्र पर स्टाफ की समस्या को हल करने का शीघ्रता से प्रयास करेंगे।- बीएस बारिया सीएचएमओ झाबुआ
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स्वास्थ्य केंद्र की यह समस्या होने के चलते मैं स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर स्टाफ की समस्या का हल करवाऊंगा। – काना गुंडिया सरपंच पिटोल
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वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश अनुसार मुख्यालय पर रहकर 24 घंटे सेवा दे रहा हूं। डॉ.अंतिम बडोले मेडिकल अधिकारी पिटोल