मनुष्य को उसके कर्तव्यों का बोध कराती है रामकथा, संगीतमय श्री राम कथा में उमड़े भक्त

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भूपेंद्र नायक, पिटोल

झाबुआ से 6 किलोमीटर दूर ग्राम रोटला में धर्म रक्षक समिति द्वारा प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष सात दिवसीय राम कथा का आयोजन किया गया इस सात दिवसीय राम कथा में के समापन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु हुए शामिल 2 मार्च को कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुई राम कथा 8 मार्च को महाशिवरात्रि के पावन पुनीत अवसर पर समापन हुआ। 

इस कथा को वृंदावन और इंदौर धाम से पधारे 1008 महामंडलेश्वर स्वामी प्राणवानंद सरस्वती जी के मुखारविंद से श्रवण की गई स्वामी प्राणवानंद सरस्वती प्रतिवर्ष इस रोटला गांव में भागवत कथा शिव पुराण एवं राम कथा के साथ 7 दिन तक रूद्र यज्ञ करते हैं इस राम कथा में स्वामी जी ने भक्ति मार्ग को बताते हुए  उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा विश्व कल्याणदायनी है, लोक मंगलकारी है। प्रभु श्रीराम का आचरण एवं व्यवहार अपनाने से जीवन आनंदमय हो जाता है। गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज ने श्रीराम कथा के माध्यम से मानव जीवन संबंधों की महत्ता स्थापित की है।

यही वजह है कि श्रीरामचरित मानस में गुरु, माता-पिता, पुत्र-पुत्री, भाई, मित्र, पति-पत्नी आदि का कर्तव्य बोध एवं सदाचरण की सीख हमें सर्वत्र मिलती है। कथा में उन्होंने बताया कि भक्ति मार्ग में सुख शांति का प्रभा है, जहां आनंद की शीतल छाया मिलती है। तुलसीदास ने रामचरितमानस में श्रद्धा को भवानी और विश्वास को शंकर का प्रतिरूप मानते हुए दोनों की समवेत वंदना की है। कहा कि परमात्मा से जुड़ने के लिए श्रद्धा और विश्वास ही तो साधन बनता है। कथा की सार्थकता तब सिद्ध होती है, जब इसे हम दैनिक जीवन के व्यवहार में शामिल करते हैं। राम कथा सुनने से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और मन में शांति व मुक्ति मिलती है। भगवान राम का प्रिय भक्त बनना है तो हनुमान के चरित्र से सीख लेनी होगी।

भौतिक संसार में किए गए कार्य यही तक सीमित हो जाते हैं, लेकिन यदि व्यक्ति जीवन में गौ सेवा में अग्रणी रहे, तो उसको पुण्य गौ सेवा नारायण सेवा के बराबर मिलता है। गौसेवा जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी पुण्य देती है, क्योंकि गौ सेवा राष्ट्र रक्षा का परिचायक है। जिस घर में गाय रहती है उसे घर में कभी भी संकट नहीं आते हैं।

यहां यज्ञ के सात दिवस में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। यज्ञ मंडप की परिक्रमा में सुबह से भक्तों का तांता लगा रहा। स्वामी जी ने झाबुआ जिले में खेत खलिहान में होने वाले बेर फल के बारे में बताया कि बेर का फल सबरीमाता ने भगवान राम को खिलाया था वैसे ही आदिवासी समाज को  बेर का फल भाव के साथ अपने मेहमानों को खिलाना चाहिए! धर्म रक्षक समिति के प्रमुख वाल सिंह मसानिया द्वारा बताया गया कि रोज कथा में पधारने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए रोजाना महाप्रसादी भंडारे का आयोजन आसपास के ग्रामीण जनों के सहयोग के साथ धर्म रक्षक समिति द्वारा किया जाता है।