झाबुआ Live: सौहार्द्र की मिसाल का साक्षी बना पेटलावद, मेहंदी के जुलूस के बाद शुरू हुई गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना…

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सलमान शेख@ पेटलावद
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, एक हैं हम वतन है हिन्दुस्ता हमारा…गणेशोत्सव व मुहर्रम के दौरान शहर में हिन्दू-मुस्लिम एकता की झलक इन पंक्तियों को चरितार्थ करती दिखाई पड़ रही है।
शहर में एक बार फिर सभी ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की। नगर में एक ओर जहां गणेशोत्सव का उत्साह देखा जा रहा है। वहीं मुस्लिम समाजजन मातमी पर्व मुहर्रम के आयोजनों में लगे हुए हैं। मुस्लिम समुदाय का मातमी पर्व मोहर्रम शहीदाने करबला की याद में मनाया जा रहा है। मोहर्रम से ही हिजरी सन की शुरूआत होती है।
बीती रात शहर में मेहंदी का जुलूस निकला, जिसमें समाजजनों ने बढ़ चढक़र सहभागिता की।
मेहंदी के जुलूस की शुरुआत हुसैनी चौक से 8 बजे हुई। इस दौरान युवा या हुसैन के नारे लगा रहे थे। इससे पहले यहां मुस्लिम बहुल क्षेत्र व अन्य जगहों से ताजिया बनाने वाले मेहंदी लेकर पहुंचे। मन्नत पूरी होने पर भी समाजजन मेहंदी लेकर शामिल हुए। इसके बाद ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस प्रारंभ हुआ, जो नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए गुजरा। मेहंदी का जुलूस निकलने के बाद श्री गणेश पांडालो में गणपति बप्पा की पूजा–अर्चना शुरू हुई।
सद्भाव और सहयोग सिर्फ जुलूस निकलने तक ही सीमित नहीं रहा। जिन रास्ते से जुलूस निकला वहां सम्मान में पूजा पंडाल के रास्ते खोल दिये गए और लाउड स्पीकर भी बंद कर दिए गए। इसी के साथ अम्बिका चौक में श्री सिद्धि विनायक मित्र मंडल के तत्वाधान में मनाए जा रहे गणेशोत्सव के दौरान कार्यक्रम को विराम देते हुए मेहंदी जुलूस को निकलने के लिए रास्ता बनाने में मंडल के कार्यकर्ता जुट गए।
यह नजारा अपने आप में ही शहर की अटूट एकता की मिसाल को प्रकट करने वाला रहा। मेहंदी के जुलूस में शामिल लोग बिना नारे लगाए आगे बढ़ गए। समाजजन मेहंदी को सिर पर उठाए चल रहे थे। इस दौरान शहर नगाड़ों की आवाज से गूंज उठा। राजापुरा पहुंच हुसैनी चौक में जुलूस का समापन हुआ। इस दौरान प्रशासन व पुलिस की व्यवस्था भी काफी चुस्त दिखी। एसडीएम एमएल मालवीय समय-समय पर निरीक्षण करते रहे। वहीं एसडीओपी श्रीमती बबिता बामनिया और टीआई दिनेश शर्मा रास्तेभर अपनी पूरी टीम के साथ कमान को संभाले हुए थे। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस अधिकारी कभी जुलूस के आगे-आगे तो कभी जुलूस के पीछे-पीछे चल रहे थे।
*बड़ी शान से निकली हजऱत क़ासिम की मेहंदी:*
भतीजे हजऱत कासिम की याद में सातवीं मोहर्रम को मेंहदी का जुलूस निकाला गया। हजऱत की शहादत से ठीक एक दिन पहले उनकी शादी हुई थी। इसी की याद में सात मोहर्रम को हजऱत कासिम की मेंहदी का जुलूस निकाला गया।