कल है पेटलावद ब्लास्ट की 5वीं बरसी; क्या होगा कल; ऐसे मुद्दे जो आज भी जिंदा हैं..?

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सलमान शेख@ झाबुआ Live
आज से ठीक पांच साल पहले यानि 12 सितम्बर 2015 को हुए ब्लास्ट में मारे गए दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए कल श्रद्धांजली स्वरूप पीडित परिवार श्रद्धांजली चौराहे पर दीप प्रज्जवलित करेगें। हालांकि अभी तक नगर बन्द का आव्हान किसी ने नही किया है, लेकिन माना यह जा रहा है कि नगरवासी यह निर्णय खुद ही लेंगे की कल उन्हें अपने प्रतिष्ठान खोलने है या बन्द रखने है, क्योंकि उस समय दुःखद पलो में पूरा नगर शामिल हुआ था।
चोराहो पर चर्चा, आखिर कल क्या होगा:
5वी बरसी के एक दिन पहले नगर के हर चौराहे पर ब्लास्ट से संबंधित चर्चाए चल रही थी। हर कोई यह जानने को उत्सुक था कि 12 सितंबर को क्या होगा, लेकिन कहीं किसी तरह के आयोजन की खबर  आज देर शाम तक नही है। यह जरूर है कि सोशल मीडिया पर लोग बरसी को लेकर चर्चा कर रहे है।
दिवंगत विक्की पंवार की याद में लगाया गया फ्लेक्स:
घटनास्थल के पास दिवंगतो के याद में पीड़ित परिवार ने भावमिनी श्रद्धांजली देने के लिए फ्लेक्स बनाकर लगाए है। इस फ़्लेक्स को आने-जाने वाला हर राहगीर रूककर देख रहा है। जिससे 12 सितंबर के हादसे की यादे ताजा हो रही है।

कितने बदले है हालात:

इस हादसे में मृत लोगो के परिजनो को ताउम्र यह काला दिन नही भूलेगा। लोग काल के गाल में समा गए। इस तबाही के मंजर अब भी बरकरार है। ऐसी तबाही कभी किसी ने देखी नही थी। चंद सेकंडो में तीन इमारतो को मलबे में बदलती हुई अपने साथ कई जिंदगी ले गई। पूरा इलाको जैसे श्मशान में बदल गया। लोग हतप्रभ थे, न केवल पेटलावद में, बल्कि सारे देश में लोग यह जानने को बेचेन थे कि इस तरह की त्रासदी क्यो घटित हुई? इस पूरे पांच साल में हमने क्या किया? क्या आगे के लिए हमने कोई सबक लिया है? इन्ही बिंदूओ को सहेजते-समेटते उस घटना की असल सच्चाई आज तक कोई बता नही सका।

चुनाव थे तो कई नेताओ की हुई सभा-
हमेशा राजनीति उस जगह ज्यादा देखने को मिलती है जहां या तो कोई हादसा हुआ हो या कोई प्राकृतिक आपदा और फिर इन सभी पर राजनीति रोटिया सेकने का फायदा नेताओ को मिल जाता है। कुछ ऐसा ही पेटलावद ब्लास्ट के बाद भी हुआ। कांग्रेस ने विपक्ष में रहकर खूब रोटियां सेकी तो भाजपा के उस समय भी मुख्यमंत्री रहे शिवराजसिंह चौहान तक यहां कई दिनों तक आये और घोषणाओं का पिटारा खोलकर चले गए। शिवराजसिंह ने प्रत्येक पीडित परिवार के घर तक पहुंचकर ढाढस बनाकर परिजनों को ऐसे वादे कर दिए जो शायद सरकार के लिए नामुमकिन थे। यहां भी राजनीति का शिकार विस्फोट पीडित हुए। इसके बाद पिछली बरसी पर हुए उपचुनाव में भी यहां खूब राजनीति हुई। खुद कांग्रेस  से मुख्यमंत्री बने कमलनाथ ने यहां 12 सितम्बर को सभा की थी और पीड़ित परिवार को हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया था, कांग्रेस की सरकार आते ही गृह मंत्री बाला बच्चन के फिर से विस्फोट कांड की नए सिरे से जांच के बयान ने इस मामले को फिर से चर्चा में ला दिया था लेकिन वो भी केवल बयान ही था। इस बार शायद ऐसा कुछ नही होगा। हालांकि कोरोना कालखण्ड भी जारी है, जिसका हवाला भी दिया जा रहा है। हर दिन झाबुआ जिले में कोरोना के नए केस सामने आ रहे है।

ऐसे मुद्दे जो आज भी जिंदा हैं-

-क्या राजेंद्र कांसवा जिंदा हैं, यह सबसे बडा प्रश्र खडा हैं

-पूरे मामले की सीबीआई जांच नही हुई

-कांसवा के पत्नि, बच्चों का नार्को टेस्ट नही हुआ

-6 पोटली में इंदौर के एमव्हाय चिकित्सालय में पहुंचे वो शव किसके थे इसका खुलासा प्रशासन नही कर पाया

-रहवासियों की शिकायत पर भी प्रशासन ने कोई कार्यवाही क्यू नही की, दोषी अधिकारीयों को केवल नोटिस ही थमाए गए

-विस्फोट के बाद कुछ जिलेटेन बिना विस्फोट के मिले थे, आखिर ऐसा क्यू हुआ

अब यहां सुस्त हैं प्रशासन

– विस्फोट के बाद प्रशासन मुस्तैदी से जिलेटिन के वैध ओर अवैध व्यापारियों के ठिकानों की जांच में जुटा था तो बडी संती के चलते करीब ३ माह तक यह व्यापार बंद रहा। जिसके बाद प्रशासन ने इस मामले में पूरी तरह ढिलाई बरती ओर यह व्यापार फिर से अवैध तरीके से फल फूल रहा हैं। वो सारी गलतियां जो प्रशासन ने उस वक्त की थी आज भी कि जा रही हैं। प्रशासन के नुमांदे फिर से इसी प्रकार के बडे हादसे का इंतजार कर रहे हैं।