EXCLUSIVE: मिलिए झाबुआ के ‘गरीब’ पार्षदों से

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झाबुआ आजतक ने बीपीएल यानि गरीब रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों लोगों की सूची में किस तरह की गड़बड़ी है इसका खुलासा हाल ही में किया था। इस खुलासे में बताया था कि कैसे शहर के प्रथम नागरिक नगर पालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया का नाम भी कुछ समय पहले तक इस सूची में शामिल था और कैसे उनके परिवार ने इसका बेजां भी फायदा उठाया। अब इस कड़ी में दूसरा और सनसनीखेज खुलासा झाबुआ आजतक करने जा रहा है। आज हम पोल खोल रहे झाबुआ नगर पालिका के पार्षद भी गरीब बनकर यानि बीपीएल कार्डधारी बनकर सरकार की विभिन्न योजनाओं का फायदा उठा रहे है। अब्दुल वली खान की इस ख़ास रिपोर्ट में देखते हैं कौन है यह पार्षद।

सबसे पहले बात नगर पालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया कीः

धनसिंह बारिया: नगर पालिका अध्यक्ष हैं अपने नामांकन में खुद को अमीर बता चुके हैं। कहते हैं कि हां मैं बीपीएल नहीं हूं। 1990 के सर्वे में गलत तरीके से नाम जुड़ गया उस समय हम बेरोजगार थे लेकिन अब महीनों पूर्व सरेंडर करने का लिख चुका हूं। लेकिन अध्यक्ष महोदय बीपीएल का राशन नियमित उठा रहे हैं उनके नाम पर राशन भी आवंटित हो रहा है। देखिए मध्यप्रदेश शासन का यह पत्र।

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जमुना वाखला: भाजपा की पार्षद हैं और नेता भी, पति गुलाबसिंह शासकीय सेवा में है लेकिन इसके बावजूद भी वार्ड नंबर 17 की इन पार्षद महोदया के पति का बीपीएल कार्ड बना हुआ है और बकायदा उनके नाम पर राशन आवंटित हो रहा है। सवाल यह है कि उनके वार्ड में कई ऐसे गरीब हैं जो एपीएल कार्डधारक बनने को  मजबूर हुए, लेकिन उन्होंने खुद का बीपीएल बनवा लिया और गरीबों को उनके हाल पर छोड़ दिया।

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नंदलाल रेड्डी- वार्ड क्रमांक 18 से भाजपा के पार्षद नंदलाल रेड्डी हैं। एक निजी पैरा-बैंकिंग कंपनी में सफल एजेंट माने जाते हैं। मकान और जीवन शैली भी ठीक-ठाका है। लेकिन यह भी बीपीएल राशन कार्ड धारक बने हुए हैं जबकि बीपीएल बनने का इनका कोई नैतिक हक नहीं बनता।

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सुनील शर्मा: वार्ड क्रमांक 10 से भाजपा के कोटे से पार्षद है इनकी मां शारदा शर्मा और खुद सुनील शर्मा का अलग-अलग बीपीएल कार्ड बना हुआ है। जबकि सूत्र बताते हैं कि दोनों मां-बेटे साथ में ही रहते हैं।


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धुमसिंह- धुमसिंह कांग्रेस के वार्ड नंबर 13 से पार्षद हैं वे भी बीपीएल हैं अपनी कृषि भूमि पर ही उनका आशियाना है और कृषि भूमि भी ठीक-ठाक है। लेकिन वे भी बीपीएल हैं और उनके नाम से बीपीएल का राशन आवंटित हो रहा है।

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सवाल यह उठता है कि झाबुआ नगर की गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की सूची में 50 फीसदी से अधिक नाम फर्जी हैं और अगर यह बात सही है तो नगर पालिका के पार्षदों की संख्या 15 हैं और कम से कम छह पार्षदों पर बीपीएल राशन कार्डधारी होने का आरोप है जो कि जांच का विषय हैं क्योंकि उनकी  जीवन शैली यह साबित करती हैं कि वे बीपीएल नहीं है इनमें खुद नगर पालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया भी शामिल हैं। सवाल यह है कि नगर पालिका से ही बीपीएल सूची से फर्जियों को हटाने का अभियान शुरू क्यों नहीं किया जा रहा है?

ताकि शासन को होने वाली क्षति को भी रोका जा सके और पात्र लोगों को इसका लाभ दिया जा सके। इस संबंध में भाजपा संगठन को भी हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है उन्हें चाहिए कि उन्हें अपने नगर पालिका अध्यक्ष एवं पार्षदों को निर्देश दे कि वे अपने बीपीएल को मोह त्यागें ताकि सही हाथों में अनाज और योजनाओं को लाभ जा सकें और अगर भाजपा संगठन ऐसा नहीं करता है तो जो संदेश जा रहा है वह भी ठीक नहीं है।