5 दिनो तक महिला का शव सडता रहा लेकिन कलेक्टर नही कर पाई ” उसके पति को अंतिम संस्कार की अनुमति देने का फैसला

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झाबुआ Live के लिए ” मेघनगर से ” भूपेंद्र बरमंडलिया” की ग्राउंड रिपोर्ट 

अंततः आज हुआ महिला का अंतिम संस्कार
अंततः आज हुआ महिला का अंतिम संस्कार
कलेक्टर के अनिर्णय के चलते इस महिला का शव अपमानित हुआ
कलेक्टर के अनिर्णय के चलते इस महिला का शव अपमानित हुआ

झाबुआ जिले का प्रशाशन किस कदर लापरवाह ओर अमानवीय है इसकी बानगी आज एक बार फिर सामने आई है । दरअसल झाबुआ कलेक्टर डा अरुणा गुप्ता के दफ्तर ने इंदौर जिला जेल मे सजा काट रहे एक शख्स को 4 दिन तक उसकी पत्नी के अंतिम संस्कार की इजाजत नही दी नतीजा आज विगत 5 दिन से उसके शव को रखकर बैठे कुटुम्ब ओर फलिऐ के लोगो ने आज शाम उस शख्स की पत्नी के शव का अंतिम संस्कार किया ।

काम ना आई परिजनों की फरियाद

दरअसल पूरा मामला यह है हत्या के मामले मे अपने बेटे के साथ इंदौर सेन्ट्रल जेल मे सजा काट रहा झाबुआ जिले के मेघनगर थाने के ” सातसेरा ” गांव के निवासी ” रेवसिंह” की पत्नी ” समूडीबाई” ( 50 ) की बीते रविवार को बीमारी के बाद मोत हो गयी थी जिसकी सूचना जेल मे ” रेवसिंह” को जब दी गयी तो उसने कहा कि जेल से ही उसने पहले अपने दो मृत बच्चो का अंतिम संस्कार ” झाबुआ ” जिला कलेक्टर से अनुमति हासिल कर किया था ओर इस बार भी करेगा । इसलिए उसे अनुमति के लिए आवेदन लगाए । इस पर सोमवार को एक आवेदन पहले पुलिस अधीक्षक को ओर फिर झाबुआ कलेक्टर के आफिस को दिया गया । उसके बाद परिजन अनुमति का इंतजार करते रहे ओर शव को सातसेरा मे ही रखे रहे । मगर कलेक्टर आफिस निर्णय करने मे असफल रहा । परिजनो ने इंदौर सेंट्रल जेल पहुंचकर भी फरियाद लगाई मगर वहा से कहा गया कि हम खुद चाहते है मगर हम मजबूर है झाबुआ कलेक्टर के आदेश से ही हम कैदी को छोड पायेंगे । इस पर परिजन लोट आये ओर कलेक्टर से मिलने का इंतजार करते रहे लेकिन कलेक्टर ना तो मिली ओर ना उनके आवेदन पर कोई फैसला दिया । इस दोरान शव में बदबू आनी शुरु हो गयी थी लिहाजा आज अंतिम संस्कार करना पडा । आवेदन का क्या हुआ यह भी पता नही है संभवतः आवेदन निरस्त किये जाने का अनुमान है बडा सवाल यह कि  विगत 5 दिनो से एक महिला का शव रखा है एक महिला कलेक्टर फैसला नही कर पा रही है ? क्या ऐसे अफसरों को कलेक्टरी सोंपना क्या मानव अधिकारो का उलंघन नही है ?