संयम पथ पर अग्रसर दीक्षार्थियों का निकला वर्षीदान वरघोड़ा

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झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
कहते हैं जीवन में अपने ऊपर एक पल का भी संयम रख पाना इंसान के लिए बढ़ा ही मुश्किल होता है। संयम का वास्तविक अर्थ है ‘अपने आप पर काबू पाना’ संयम एक ऐसा नियम हैं जिसके आगे कोई नियम नहीं, जिसका पालन करना बहुत ही कठिन होता है। संसार के अंदर जिसने संयम धारण किया, उसे कोई हरा नहीं सकता, जो संसार को छोडक़र धर्म पथ पर अग्रसर होते हुए मोक्ष पद को प्राप्त करते है। संयम में सफलता, सदाचार, सदमार्ग, सरलता शमिल रहते है। अगर संयम का ‘सं’ निकाल दिया जाए तो सिर्फ ‘यम’ बचता है। अब आप समझ जाइये ‘यम’ का अर्थ क्या होता है, किंतु जो मनुष्य आत्माएं संयम पथ पर अग्रसर होती है, वह धन्य होती है। कुछ इन्ही भावो के साथ आसपुर (राजस्थान) निवासी मुमुक्षु गुंजन कुमारी मालवीय भीलवाड़ा, आशीष कुमार धुपिया, थराद (गुजरात), श्रेणिक कुमार पांचा सोवोरा ने संयम पथ धारण कर, दीक्षा धारण करने के पथ पर अग्रसर हुए। उक्त विचार साध्वी रत्नत्रया श्रीजी मसा ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।
दीक्षार्थियों का निकला वर्षीदान वरघोड़ा-
बामनिया नगरी उस समय धन्य हो गई जब यहा विराजित साध्वी रत्नत्रयाश्री एवं तत्वत्रयाश्री के सानिध्य में तीनों दीक्षार्थियों का वर्षीदान वरघोड़ा नगर में निकला वर्षीदान वरघोड़ा तेरापंथ मांगलिक भवन से प्रांरभ हुआ पूरे नगर में नगरवासियों ने दीक्षार्थियों का बहुमान किया, तो दीक्षार्थियों ने वर्षीदान कर अनुमोदना की वरघोड़ा नगर के मुख्य मार्गो से होता हुआ महावीर भवन पेटलावद रोड पर धर्मसभा में तब्दील हुआ, जहां साध्वीद्वय ने धर्मसभा को संबोधित किया। तत्पश्चात स्वामी वात्सल्य का आयोजन रखा गया। समस्त आयोजनो का लाभ ललित अभ्य चातुर्मास समिति ने लिया।