लॉ कमीशन की सिफारिशों की अनुशासनात्मक कार्रवाई पर अधिवक्ताओं ने जताया विरोध

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
लॉ कमीशन की सिफारिश पर अधिवक्ताओं के विरूद्ध अनुशासनात्क कार्रवाई किए जाने हेतु सरकार द्वारा पृथक से स्वतंत्र आयोग बनाए जाने के विरोध में आज शुक्रवार को अभिभाषक संघ के सदस्य न्यायिक कार्य से विरत रहकर प्रतिवाद दिवस मनाया और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और विधि मंत्री भारत शासन, नई दिल्ली पियुष गोयल के नाम एक ज्ञापन न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी सूर्यपालसिंह राठौर को सौंपा। कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं की ओर से किसी भी कार्य को नहीं किया गया, साथ ही सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया गया।
ज्ञापन देते हुए अभिभाषक संघ के सदस्यो ने बताया अभिभाषक संघ द्वारा लॉ कमीशन की सिफारिशों के आधार पर भारत सरकार द्वारा बनाए जा रहे स्वतंत्र आयोग के विरोध में पूरे प्रदेश के राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्यों द्वारा न्यायालयीन कार्य से विरत रहकर प्रतिवाद दिवस मनाया जा रहा है. लॉ कमीशन ऑफ इंडिया के द्वारा अधिवक्ता अधिनियम में किए गए कठोर अलोकतांत्रिक व अधिवक्ता विरोधी संशोधन व इसी प्रकार अन्य प्रस्तावित संशोधन बिल 2017 पर विचार विमर्श करके 26 मार्च को भारतीय विधिज्ञ परिषद द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया।
ज्ञापन में बताया गया कि एडवोकेट एक्ट 1961 में विहित प्रावधानों के अंतर्गत किसी अधिवक्ता के विरूद्ध अवचार के मामले में अनुशासनात्मक या दंडात्मक कार्रवाई का अधिकार राज्य अधिवक्ता परिषद को प्रदान है जिसके विरूद्ध अंतिम अपील सर्वोच्य न्यायालय में किए जाने का प्रावधान है उसके बावजूद राज्य अधिवक्ता परिषद के स्वयत्ता पर अतिक्रमण किया जाकर पृथक से स्वंत्र आयोग गठित किए जाना औचित्य है।
अधिवक्ताओं के विरोध का कारण यह है कि उक्त संशोधनों से अधिवक्ताओं की संस्था ऐसे लोगों के नियंत्रण में हो जाएगी जिनका वकालात के व्यवसाय से कोई संबंध नही है। ज्ञापन देने में अभिभाषक संघ के अध्यक्ष एएल व्होरा, एनके सोलंकी, विनोद पुरोहित, अनिल देवड़ा, राजेंद्र मौन्नत, निलेशसिंह कुशवाह, सचिव रविराज पुरोहित, जितेंद्र जायसवाल, दुर्गेश पाटीदार, अविनाश उपाध्याय, बलदेवसिंह राठौड़, सुरेश भटेवरा, दीपक वैरागी, एलएन वैरागी, मनीष व्यास आदि मौजूद रहे।
अधिवक्ता अधिनियम में ये 4 संशोधन, जिसके विरोध में अभिभाषकों ने नहीं किया कार्य:
हड़ताल करने पर वकील पर कार्रवाई या जुर्माना, राज्य बार कौंसिल के आधे से ज्यादा उच्च न्यायालयों द्वारा नामित किए जाएंगे, जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, बिजनेसमैन आदि होंगे। बीसीआई के सदस्य के लिए कोई चुनाव नही होगा। सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधिश केंद्रीय निगरानी आयुक्त, चार्टेड एकाउंटेंट के अपीलीय पदाधिकारी के द्वारा बीसीआई के आधे से अधिक सदस्य नामित किए जाएंगे।