यह रहे वह 7 कारण जिनके आधार पर प्रदेश आलाकमान ने ” दोलत भावसार ” की कर दी बीजेपी जिलाध्यक्ष पद से छुट्टी

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चंद्रभान सिंह भदोरिया
चीफ एडीटर ( झाबुआ Live )

बीजेपी जिलाध्यक्ष पद से ” दोलत भावसार ” की छुट्टी आज भले ही हुई है लेकिन इसकी भूमिका बीजेपी मे कब से बनाई जा रही थी खासकर बीजेपी मे दोलत भावसार विरोधी लाबी सक्रिय थी । यहा आपको वह 7 प्रमूख कारण बताते है जिनके कारण ” दोलत भावसार ” की विदाई हुई है ।

1)- आडियो वायरल होना
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बीजेपी जिलाध्यक्ष रहते दोलत भावसार के दो आडियो विवादास्पद हुऐ थे पहला नगर मंडल अध्यक्ष बबलू सकलेचा के साथ ओर दूसरा पूव॔ आईटी सेल से जुडे कोशल सोनी के साथ । इन दोनो आडियो मे दोलत भावसार धमकाने के अंदाज मे रिकार्ड हुऐ थे दोनो आडियो आलाकमान तक पहुंचाई गयी थी ।

2)- नगरीय चुनाव परिणाम
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झाबुआ नगर परिषद अध्यक्ष पद पर बीजेपी 20 साल बाद हारी थी ; धनसिंह बारिया ओर उनके समथ॔क नेताओ ने दोलत भावसार पर आरोप लगाकर शिकायते आलाकमान तक पहुंचाई थी ।

3)- परिवारवाद के आरोप
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दोलत भावसार पर अपने जिलाध्यक्ष रहते परिवारवाद चलाने का आरोप लगता रहा है पार्टी मे उनके विरोधी लगातार उनके परिवारवाद की शिकायते पहुंचाते रहे । पुत्र को युवा मोर्चा के झाबुआ नगर मंडल अध्यक्ष बनाने के बाद उन पर परिवारवाद के आरोप बढे । आरोप था कि कम से कम आधा दर्जन लोग भावसार परिवार के बीजेपी मे किसी न किसी मोर्चे मे पदाधिकारी बनाऐ गये थे ।

4)- लगातार हार
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आरोप है कि झाबुआ नगर पालिका के पहले भावसार बामनिया छोडकर उसके पास की दो पंचायते हारे , उसके बाद पेटलावद नगर परिषद का वाड॔ ; देवझीरी सोसाइटी ओर जिला पंचायत के वाड॔ नंबर 5 को हारे । यह शिकायते भी उनके खिलाफ गयी ।

5 ) – व्यवहार मे असाधारण परिवर्तन
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दोलत भावसार के जिलाध्यक्ष बनने के समय जिन कार्यकर्ताओ ओर नेताओ ने उम्मीद लगाई थी वह उनके जिलाध्यक्ष बनने के बाद बदले व्यवहार के चलते हतोत्साहित हो गयी थी कार्यकर्ताओ ओर नेताओ का आरोप था कि वह सम्मानजनक तरीके नही अपनाते थे खीजते ओर चिढकर बात करते थे । इस व्यवहार की भी शिकायते पहुंची ।

6)- आला पदाधिकारियों से विवाद =======================
बताया जाता है कि दोलत भावसार ओर संभागीय संगठन मंत्री के रिश्ते सामान्य नही थे साथ ही झाबुआ मे पदस्थ पूण॔कालिक भी भावसार से नाराज थे । इनकी नाराजगी भी भावसार के खिलाफ गयी ।

7 )- राजगढ नाका लाबी की रणनीति
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दोलत भावसार को पद से हटाने मे राजगढ नाका लाबी लगातार सक्रिय रही ; इसके अलावा मनोहर सेठिया ने भी रणनीतिक तरीके से काम किया । तीनो विधायको ने भी राजगढ नाका लाबी के सुर मे सुर मिलाकर संगठन से शिकायत की कि कांग्रेस से निपटना है ओर चुनावी साल है इसलिए वह भावसार के नेतृत्व मे चुनाव मे नही जाना चाहते ।