माता-पुत्री सम्मेलन सम्पन्न

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 माता पुत्री सम्मेलन को संबोधित करते हुए चुडासम
माता पुत्री सम्मेलन को संबोधित करते हुए चुडासम

झाबुआ। स्थानीय सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में आयोजित माता-पुत्री सम्मेलन को गुरूवार को संबोधित करने हेतु पधारी बालिका शिक्षा एवं अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान, विद्या भारती की राष्ट्रीय संयोजिका रेखा चुडासम ने स्कूल परिसर में किशोर वय की कक्षा 9वीं से 12वीं तक की बालिकाओं एवं उनकी माताओं के सम्मेलन में बालिकाओं के नैतिक विकास एवं वर्तमान परिप्रेक्ष्य में माताओं एवं बच्चों की जिम्मेवारी एवं बालिका षिक्षा को मुख्य रूप से तीन बिन्दुओं पर कार्य करना परिभाशित है के बारे में मातृत्व, नेतृत्व एवं कर्तव्य विशय पर विस्तार से सार गर्भीत जानकारी दी तथा शंकाओं का समाधान कर उचित मार्गदर्शन प्रदान किया। सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होनें बालिकाआंे मे इन गुणों के विकास कोशलों में वृद्धि के बारे में तथा उद्देश्य की जानकारी देते हुए बताया कि किशोरावस्था में बालिकाओं को दिग्भ्रमित होने से रोकने तथा उनके विचारों में परिवर्तन लाये जाने के साथ ही इस अवस्था में माता एवं बच्ची दोनों के विचारों में तालमेल बिठाने के लिये वातावरण निर्माण का कार्य मूलतः शिक्षा के माध्यम से दिया जा रहा है। उन्होने बताया कि परिवार कैसे अच्छा बने तथा आपसी सद्भाव एवं प्रेम की भावना के साथ ही विश्वास की भावना बलवती हो इसके लिये कक्षा 9 से 12 तक की अध्ययन करने वाली बालिकाओं एवं माताओं को एक साथ बिठाकर उन्हे उचित समझाइश एवं शिक्षा देकर व्याप्त दूषितता को समाप्त करना ही मुख्य लक्ष्य है। उन्होने कहा कि किशोर वय में बच्चे भटकाव वाली स्थिति से गुजरते है, ऐसे में यदि उन्हे सही मार्गदर्शन मिल जाए तो उनका भटकाव टाला जासकता है। मां बाप को भी अपनी बच्चियों के प्रति एक दोस्त जेसा व्यवहार करके उनकी भावनाओं की कद्र करते हुए उसे सही मार्ग दिखाने की महती आवश्यकता है। उन्होने धार जिले का उदाहरण देते हुए बताया कि बच्चियों के मां-बाप चाहते है कि वे सलवार कुर्ता पहने किन्तु बच्चिया जींस आदि पहनने की जिद करती है ऐसे में कैसे कपडे़ पहनना चाहिए। इस बारे में यदि उन्हे ठीक से समझाया जाए, तंग कपडों की बजह से शारीरिक प्रभाव आदि की जानकारी दी जाए तो निष्चित ही बदलाव कोवे अंगीकार कर लेगी।  हमारा लक्ष्य बच्चियों में अच्छी भावना पेदा करना तथा शिक्षा के माध्यम से विवेक जागृत करना ही ही मुख्य कार्य है बच्चियों को अच्छे बुरे की जानकारी देना ओर उसके माध्यम से समस्याओं का निदान करना ही मुख्य लक्ष्य है। हमारा मिशन विवेक जागरण पैदा करके अपने विचारो के प्रति दृढ रहने की शिक्षा देता है।
एकल परिवार के इस युग के बारे में बोलते हुए उन्होने कहा कि युगानुकुल निर्मित परिस्थितियों को तो टाला नही जासकता है किन्तु एकल परिवार में रह कर भी मूल्यों का किस तरह विकास हो इस बारे में बहुत कुछ किया जासकता है ओर आवश्यकतानुसार उनकी संस्था यह कार्य कर भी रही है। अवस्था के अनुसार मार्गदर्शन के साथ ही जो स्थितियां बनी हफ उसका स्थाई समाधान हो यह देखना भी जरूरी है। उन्होने कहा कि समय गतिमान है और भारतीय दर्शन का युग पुनः लौट कर आरहा है । हमे शाश्वत सत्य पर आना ही पडेगा और प्रत्येक के दायित्व का बोध कराना भी हमारा दायित्व है।
इस अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर के धार झाबुआ अलीराजपुर के समन्वयक कैलाश चोधरी एवं सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के प्राचार्य बलिराम बिल्लो भी उपस्थित थे ।