महाविद्यालय दुर्दशा का शिकार, 1304 विद्यार्थी परेशान

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छात्रसंघ के पदाधिकारियों ने प्रभारी प्राचार्य कोज्ञापन सौंपा.
– इस प्रकार टूटी खिड़कियों में सुबह 7 बजे परीक्षा देना पड़ी.

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
शासकीय महाविद्यालय में समस्याओं का अंबार छात्र संघ के पदाधिकारियों की भी कोई सुनने को तैयार नहीं पंखे है तो चलते नहीं खिड़कियां है तो बंद नहीं होती। शौचालय के लिए छात्र व छात्राओं को भटकना पड़ता है। 1304 विद्यार्थियों वाले महाविद्यालय में सुविधाओं के नाम पर शून्य स्थिति है जहां न तो साफ सफाई है न ही पीने लायक पानी है और न ही बैठने के लायक कमरे है। इन परिस्थितियों में विद्यार्थी किस प्रकार पढ़ाई करते होंगे। यह विचारणीय प्रश्न है। छात्रसंघ के चुनाव को 6 माह का समय बीतने आया पर आज तक जन भागीदारी की बैठक ही नहीं हो सकी, जिस कारण से छात्रसंघ के पदाधिकारियों को कॉलेज के लिए कुछ करने का मौका ही नहीं मिल पाया है। छात्र संघ के पदाधिकारी बैठक के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर कॉलेज प्रशासन तक को कई बार कह चुके है किंतु कोई भी इस मामले में कोई रुचि नहीं ले रहा है।
शौचालय विहीन महाविद्यालय-
छात्र संघ की अध्यक्ष पलक भंडारी ने खुल कर बताया कि जहां एक और पूरे देश में खुले में शौच विहीन और स्वच्छता के लिए प्रयास किए जा रहे है. वहीं उच्च शिक्षा के इस मंदिर में छात्र छात्राओं के लिए शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है जिस कारण से बाहर क्षेत्रों से आने वाली छात्राओं को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं कल्पना की जा सकती है कि 1304 विद्यार्थियों के बीच एक भी शौचालय नहीं है तो किस प्रकार मैनेज किया जा रहा होगा।महाविद्यालय में कमरों की स्थिति यह है कि लगता है आदम के जमाने के कमरे है. जिनकी सफाई के लिए आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है. दिवारों का एंलास्टर निकल रहा है तो खिड़कियां टूटी हुई है। सुबह 7 बजे परीबा देने वाली छात्राओं की पीड़ा यह है कि तेज हवाओं के बीच परीक्षा दे रहे है। वहीं कमरें में लगे हुए पंखे मुंह चिढ़ा रहे है जो की पूरी तरह से टूट चुके है और लटक गए है हर कमरे में लाइट के खाली बॉक्स लगे हुए है कहीं पर भी लाइट की व्यवस्था नहीं है।
पानी की दुर्दशा
कॉलेज में केवल साफ सफाई शौचालय या कमरे ही खराब नहीं है बल्कि यहां की टंकियों में भरा पानी पीने लायक भी नहीं है। टंकी में पानी बदबू मार रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे महीनों से पानी की टंकी को धोया नहीं गया है जिस कारण से वह पूरी तरह से खराब हो चुका है।
फर्नीचर बेहाल-
वहीं विद्यार्थियों के बैठने के लिए फर्नीचर बेहाल पड़ा हुआ है जिस कारण से कमरों में बैठने में भी विद्यार्थियों को डर लगता है इस प्रकार पेटलावद शासकीय महाविद्यालय कई समस्याओं से घिरा पड़ा है।
5 विषयों की प्रेक्टीकल लेब एक कमरे में.
सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि महाविद्यालय के भूगोल, जीव विज्ञान, भौतिक,जंतु शास्त्र और केमेस्ट्री के लेब एक ही कमरे में संचालित की जा रही है जहां 5 विषय के प्रेक्टिकल होते है। आखिर किस प्रकार छात्र छात्राएं प्रेक्टिकल की तैयारी करते होंगे। लगभग इन पांचों विषयों को मिलाकर 400 विद्यार्थी है। यह किस प्रकार एक ही कमरे में प्रेक्टिकल करते होंगे।
स्थाई प्राचार्य की मांग-
इसके साथ ही छात्र संघ द्वारा महाविद्यालय के उचित संचालन हेतु एक स्थाई प्राचार्य की मांग की गई है ताकि कॉलेज की समस्याओं को ऊपर तक पहुंचाया जा सके और आवश्यकता पडऩे पर उचित निराकरण भी कर सके। क्योंकि प्रभारी प्राचार्य अपने सीमित अधिकारों के चलते कोई निर्णय नहीं ले पाते है। इसके साथ ही कई विषयों के शिक्षकों की भी कमी है।
जनभागीदारी की बैठक नहीं होने पर आंदोलन-
कॉलेज के छात्रों ने प्रभारी प्राचार्य किरण दुबे को एक लिखित पत्र के माध्यम से कॉलेज की समस्याओं के बारे में बताया और मांग की है कि आने वाले 5 दिनों में जनभागीदारी की बैठक आयोजित की जाए अन्यथा छात्रसंघ द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसकी संपूर्ण जवाबदारी कॉलेज प्रशासन की रहेगी। इस संबंध में प्रभारी प्राचार्य किरण दुबे से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि परीक्षाओं के कारण बैठक नहीं हो सकी अगले सप्ताह में बैठक आयोजित की जाएगी। वहीं समस्याओं को हल करने के भी प्रयास किए जा रहे है।