मनुष्य ही अपने ज्ञान चिंतन-विवेक का उपयोग कर नर से नारायण बनता है : मुनि पृथ्वीराज

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
सत्संगत से व्यक्ति का ह्दय बदल जाता है, मानव के मन में ज्ञान का प्रकाश फैलता है, ज्ञान व्यक्ति के जीवन में आमूलचूल परिवर्तिन कर देता है, संत वे जो कंचन कामिनी के त्यागी होते है तथा वह मोहल्ला सौभाग्यशाली होता है, जहां संत के चरण टिकते है। संत सबका कल्याण करने वाले होते है। संत की संगत से पापी भी पावन बन जाता है, और लक्ष्मी का निवास भी पवित्र स्थान में होता है। अत:हर व्यक्ति का यह चिंतन हो कि मै किसी प्रकार खान पान की अशुद्धि अथवा नशा कर जीवन को मलिन न बन यदि ऐसा होता है तो वहां व्यक्ति को भगवत प्राप्त की संभावना रहती है। उक्त आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनि पृथ्वीराज जसोल ने राम मोहल्ले में ग्रामीण जनता को सम्बोधित करते हुए कही। मुनिश्री चैतन्य कुमार अमन ने कहा- मानव जीवन अनमोल है प्राणी मात्र जीने की कामना रखता है। अत: मनुष्य ही अपने ज्ञान चिंतन और विवेक का उपयोग कर नर से नारायण बनता है, व्यक्ति को चाहिए कि वह केवल शरीर और परिवार के लिए ही नहीं अपितु परमात्मा भक्ति और आत्मा की ओर भी अपने समय लगाए तथा मानव जीवन की सार्थक सिद्ध करने का प्रयास खाना पीना,वंश बढ़ाना, तो पशु पक्षी भी कर लेते है। मानव को तो अपना समय कल्याणकारी कार्यो को करना तथा स्वयं के लिए उपयोग करना चाहिए। मुनि अतुल कुमार ने कहा- भगवान को प्रसन्न करना है तो अपने तन मन को सदा पवित्र रखे, इसमें किसी प्रकार की गंदगी या बुराइयां नहीं आनी चाहिए। गाली गलौच अथवा नशीले पदार्थों से अपने आपको बचाकर ही संभव है कि आप अपने जीवन को ऊंचा उठा सकोंगे और जीवन का सही लाभ ले सकोंगे। इस अवसर पर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष झमकलाल भंडारी, लोकेश भंडारी,पवन भंडारी, पंकज जे.पटवा, राजेश वोरा, सचिन मुणत, मनोज पुरोाहित, पं.अशोक जोशी, रामलाल, अनोखीलाल, कैलाश आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।