नोट एक्सचेंज की जद्दोजहद में जुटे नागरिक, रुटीन कार्य प्रभावित

May

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
13प्रचलन से बाहर हो चुके नोटों को बदलवाने के लिए लोगों को बैंकों में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। वहीं कुछ लोग अपने रसुख का इस्तेमाल कर बिना लाइन में लगे नोट बदल रहे है, जिसका ग्रामीणों और नागरिकों ने विरोध किया। इसके साथ ही बैंकों के द्वारा निर्धारित समय तक काम नहीं करने का भी लोगों ने विरोध किया। कई बैंकों में शाम 4.30 बजे के बाद नोट बदले नहीं जा रहे है, जिस कारण हंगामा भी हुआ। इस संबंध में जब प्रबंधक से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि हमें कोई निर्देश नहीं है। इसके साथ ही क्षेेत्र की कई बैंकों में तो केवल नोट जमा किए जा रहे है। नकद भुगतान भी नहीं किया जा रहा है, जिस कारण ग्रामीणों क्षेत्र से आए आदिवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लगातार तीसरे दिन भी बैंकों के बाहर ज्यादा भीड़ देखी गई और लोग दिन भर नोट बदलवाने के लिए परेशान होते रहे।
मंडी भी बंद है-
लगातार चार दिनों से मंडी का कामकाज भी ठप पडा हुआ है, मंडी में न तो कोई माल लेने वाला है न कोई माल देने वाला है। हालांकि मंडी प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे अपना माल ले कर मंडी में आए और बैंक के माध्यम से भुगतान प्राप्त करे, जिसमें चेक या ई-बैंकिंग के माध्यम से भुगतान करवाया जाएगा। इसके साथ ही व्यापारियों से भी अपील की गई है कि किसानों को ई-बैंकिग या चेक से भुगतान करे किन्तु इसके बाद भी मंडी में कोई नहीं आया।
बाजारों में व्यापार नहीं-
नोट के अभाव में बाजार में अन्य व्यवसाय भी ठप से पडे है, हर कोई नोट की व्यवस्था में लगा हुआ है। बाजार में कोई पुराने नोट नहीं ले रहा है और दूसरी ओर बैंकों से भरपूर मात्रा में नए नोट नहीं मिल पा रहे है जिसके चलते हर कोई परेशान हो रहा है। व्यापार व्यवसाय पूरी तरह से बंद पडा हुआ है।
एटीएम आज भी रहे बंद-
लगातार दूसरे दिन भी एटीएम बंद रहे है. कई बैंकों ने तो एटीएम पर शटर लगा दी, क्योंकि कोई भुगतान नहीं हो पा रहा है। एटीएम से भुगतान नहीं होने के कारण भी बैंकों में भीड़ बढ़ रही है, यहां तक कहा जा रहा है कि एटीएम मशीन 2000 रूपए के नोट नहीं ले पा रही है, जिस कारण बैंकों के पास नोट का भी अभाव बना हुआ है। स्टेट बैंक का एक एटीएम चालू रहा। इसके साथ ही बैंक आप बडौदा में दोपहर 2 बजे के बाद नोट की खत्म हो गए थे, जिस कारण उपभोक्ताओं को खाली हाथ निराश लौटना पड़ा।