भगोरिया मेले में उमड़ा जनसैलाब दिखी जिले की संस्कृति की अनुपम छटा

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झाबुआ लाइव के लिए पारा से राज सरतलिया की रिपोर्ट-
गुरुवार को पारा भगोरिये में जनसैलाब उमड़ा। मेला स्थल से बस स्टैंड और नगर के सदर बाजार, नयापुरा, कुम्हार मोहल्ला के साथ पूरे नगर में लगभग 100 गांवों से आए ग्रामीणों ने भगोरिया का जी-भर कर लुत्फ उठाया और जमकर खरीददारी की। पुलिस की माकूल व्यवस्था और उत्साह भरे माहौल ने पारा भगोरिये की शान को दोगुना कर दिया। गुरुवार को दिनभर सागर के पानी की तरह हिलोरे लेते भगोरिये में पारा क्षेत्र के ग्रामों के अलावा दूर-दराज टांडा, जोबट, उदयगढ़, बोरी, राजगढ़, राणापुर, झाबुआ तथा कालीदेवी क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों ने मस्ती में डूबते इसका आनंद लिया। रंग-बिरंगे परिधानों और गहनों से सजी युवतियों के जत्थों ने युवकों के साथ हंसी ठिठोली करते झूला झूलने का पूरा आनंद लिया। वहीं गले में दुपट्टे, आंखो पर काले चश्मे-गले में हार और सेंट की खूशबू में महकते युवक भी भगोरिये की मस्ती में मदमस्त हो रहे थे। आदिवासी संस्कृति के प्रतीक पारा के भगोरिये मेले में भारी भीड़ उमड़ी। भगोरिया में 100 से अधिक ग्राम व फलियो के लोगों ने टे्रक्टरों, जीपों, बसों, बाइकों व पैदल भी पारा आकर भगोरिये का आनंद उठाया। मस्ती व मदहोशी के लोकपर्व भगोरिया के रंग में ग्रामीणजन पूरी तरह रंगे हुए थे तथा ढोल-मांदल की थाप पर जमकर झूम रहे थे।
सजधज कर आए
पारा के भगोरिया में ग्रामीणों का सुबह 8 बजे से सज-धज कर आने का सिलसिला आरंभ हो गया था और दोपहर 1 बजे तक तो करीब 25 हजार ग्रामीण एकत्रित हो गए थे। इस बार भी मेला स्थल पर झूलों का आनंद लेने में ग्रामीणों ने अधिक दिलचस्पी दिखाई। दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक भगोरिया की मस्ती परवान चढ़ चुकी थी।
आधुनिकता झलकी-
पारा के भगोरिया में आधुनिकता का रंग भी गाढ़ा होता दिखाई दिया। ग्रामीण युवक जींस-शर्ट व हाथों में स्मार्टफोन लिए नजर आ रहे थे। पारा का भगोरिया मेला 3 भागो में बंटा था सदर बाजार में सामान्य भीड़, यहां से ज्यादा भीड़ बस स्टैंड क्षेत्र में तथा असली जनसैलाब का हिलौरेलेते नजारा तो राजगढ़ रोड़ से लेकर झूला स्थल तक था। यहां तरह-तरह की करीब 500 दुकाने लगी थी जिसमें सबसे ज्यादा खिलौने एवं श्रंगार सामाग्री की दुकानें थी।
नहीं चढ़ा पान का रंग-
एक समय था कि जब ग्रामीण बिना पान खाए भगोरिये की शुरुआत नहीं करते थे लेकिन दिन प्रतीदिन बढ़ती पाउच संस्कृति ने पान की लालिमा को कम कर दिया। पेटलावद से आए राजू पडियार ने बताया कि पिछले वर्षो में भगोरिये में 1000 पान तक बिकते थे जिनकी बिक्री इस वर्ष घटकर मात्र 300 तक रह गई।
50 से अधिक लगे झूले-
पारा के भगोरिये में इस वर्ष करीब 50 से अधिक झूले लगे थे। और ग्रामीणों ने इन झूले वाले को निराश भी नहीं किया। सभी झूलो पर लोग अपनी बारी का इंतजार करते देखे गए। मेले में सारा आकर्षण झूले- चकरी के इर्द-गिर्द ही घूमतेनजर आया। सुबह से दोपहर तक ग्रामीण क्षेत्रो से आया जनसैलाब नगर के विभिन्न मार्गौसे होता हुआ सीधे मेले में झूलने उमड़ पड़ा । छोटे बच्चे जहां खिलौनों की दुकान पर जिद कर रहे थेवहीं युवा मस्ती के रंग में मेले की रंगत को अपने मोबाइल में कैद कर रहे थे। व्यवसाय की दृष्टि से सदर बाजार के व्यपारियों के अरमान ठंडे पड़े रह गए।
भाजपा और कांग्रेस ने निकाली गेर-
वर्षो पूर्व भगोरिये की गेर बिना किसी राजनैतिक पार्टी के झंडे के निकलती थी परंतु पिछले कुछ वर्षो से क्षेत्र में जैसे-जैसे भाजपा मजबूत होते गई वैसे-वैसे भगोरिये की गेर राजनैतिक शक्ति प्रदर्शन की परंपरा बन गई। पारा के भगोरिये में पहले भाजपा ने प्रभावी गेर निकाली। भाजपा के लिए उत्साहित भगवा साफों से भरी इस गेर का नेतृत्व दौलत भावसार जिलाध्यक्ष झाबुआ ने किया। इस गेर में, पारा मंडल अध्यक्ष औंकारसिंह डामोर, मप्र कार्यकारिणी सदस्य शैलेष दुबे, झाबुआ नपा अध्यक्ष धनसिंह बारिया, जनपद सदस्य गजेंद्रसिंह राठौर वरिष्ठ भाजपा नेता सोमसिंह सोलंकी तथा क्षेत्र के अनेक सरपंचों ने भाग लिया। इसके थोडी देर बाद ही कांग्रेस ने भी डॉ. विक्रांत भूरिया के नेतृत्व में जोरदार गेर निकाली। इस गेर में जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती भूरिया, वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रकाश रांका, युवक कांग्रेस जिलाध्यक्ष आशीष भूरिया, जिला पंचायत सदस्य रुपसिंह डामोर, कांग्रेस के सदस्य सलेल पठान व राकेश कटारा ने शिरकत कर जमकर नृत्य करते भगोरिये का आनंद लिया।