प्रशासन की लापरवाही से अवैध अतिक्रमण से रुके पानी से बही रपट, स्कूल, आंगनवाड़ी-आयुर्वेदिक अस्पताल जाने वालों की दिक्कते बढ़ीं

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-हाईस्कूल जाने वाला रास्ते पर है रपट
-हाईस्कूल जाने वाला रास्ते पर है रपट
 - इस तरह रपट के बह जाने से बना गड््ढा
– इस तरह रपट के बह जाने से बना गड््ढा

झाबुआ लाइव के लिए खरडूबड़ी से सिराज बंगड़वाला की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
खरडूबड़ी के हाईस्कूल जाने वाला रास्ते पर बनी रपट जो शनिवार शाम हुई करीब डेढ़ घंटे की बारिश के बाद ऊपर का हिस्सा बह गया। इस रपट के बह जाने से आने-जाने वालों को काफी परेशानियों का सामना पड़ेगा। क्योंकि रपट के दूसरी ओर बने हाईस्कूल, आंगनवाड़ी तथा आयुर्वेदिक अस्पताल है जो यह रपट जोड़ता है। अब राहगीर सिर्फ पैदल ही इस रपट से निकल पाएंगे वह जोखिम उठाकर। गौरतलब है कि यह रपट निर्माण के समय से ही इसकी चौड़ाई कम है और अब ऊपर का हिस्सा बारिश के चलते बह गया, तो खरडूबड़ी वासियों की परेशानी लाजमी है। परेशानी तो अब छात्रों को भी भुगतना होगी जो इस रपट से निकलेगा, स्कूल में पढऩे वाले छोटे बच्चे भी हैं जो इस रपट से गुजरने वाले गड््ढे से होकर निकलेगा जिससे इसमें गिरने का खतरा है। वहीं आंगनवाड़ी में जाने वाले छोटे बच्चों को इसी तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। यही नहीं आयुर्वेदिक अस्पताल में जाने वाले मरीज तो इस गड््ढे से कैसे निकलेंगे, यह समझ से परे हैं।
अतिक्रमण से बही रपट
गौरतलब है कि सीजन की पहली बारिश हुई थी तब भी रपट के पास बने स्कूल में बारिश का पानी घुस गया और स्कूल की दो दिन तक छुट्टी रख तथा स्कूल की वॉलबाउंड्री तोडक़र यह पानी निकाला गया था, लेकिन स्थानीय पटवारी तथा तहसीलदार को रपट के आसपास बने मकान जो अतिक्रमण कारियों ने अब पक्के बना लिए हैं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। नतीजा अब इन पक्के मकान के कारण पानी रुका और इसका खामियाजा स्कूल-आंगनवाड़ी तथा आयुर्वेदिक चिकित्सालय को जोडऩे वाली अहम रपट को भुगतना पड़ा और वह बह गई। स्थानीय रहवासियों ने रपट के आसपास बने अवैध पक्के अतिक्रमण को हटाने की शिकायत पटवारी तथा तहसीलदार से दर्जनों बार की लेकिन प्रशासन है कि उसकी कुंभकर्णीय नींद खुल ही नहीं रही। शायद अब प्रशासन की नींद तब ही खुलेगी जब कोई बड़ा हादसा इस क्षेत्र में होगा। वहीं एक ओर रपट के आसपास पक्के मकान बनाकर अतिक्रमणकारी तो बारिश के दिनों में अपनी छत के नीचे आराम से सोते हैं, लेकिन दूसरी ओर रपट के आगे लोगों के कच्चे मकान हैं जो अवैध पक्के मकान के बीच में आने से रपट का पानी रुकता है वह कच्चे मकान में घुस जाता हैं नतीजा इन झोपड़ों में रहने वालों को भुगतना पड़ता है और वे रातों को भी जागकर अतिक्रमणकारियों तथा प्रशासन को कोसते अपनी रातें निकालते हैं, लेकिन प्रशासन को इससे कोई लेना-देना नहीं है।