नरेंद्र मोदी ने दिया संदेश, विद्या बालन ने किया प्रचार, आदिवासी पिता ने हकीकत में बदला

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परवलिया से हरीश पांचाल की रिपोर्ट: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशभर में स्वच्छ्ता अभियान का संदेश दे रहे है तो फिल्म स्टार विद्या बालन भी इसका खूब प्रचार प्रसार कर रही हैं। दुनिया भर में इस अभियान और संदेश की चर्चा है लेकिन दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर एक ठेठ आदिवासी अंचल में एक व्यक्ति ने इसे सार्थक साबित कर दिया।

जी हां आपने टीवी पर स्वच्छ भारत का अभियान का विज्ञापन देखा होगा जिसमें विद्या बालन हर घर में शौचालय का संदेश दे रही है। अब उसी अभियान को हकीकत में बदल रहा है झाबुआा जिले का एक आदिवासी।

आमतौर पर जिले में विवाह से पूर्व बेटी के लिए पिता की ओर से दहेज की मांग रखी जाती है लेकिन स्वच्छता अभियान से प्रभावित एवं इसकी आवश्यकता को समझने वाले एक पिता ने बेटी के विवाह से पूर्व ससुराल पक्ष से शोचालय की मांग कर यह साबित कर दिया कि इस जिले वासियों को स्वच्छता का महत्व समझ में आने लगा है।

स्वच्छता अभियान के अंतर्गत जनजागरुकता का असर अब आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में भी दिखाई देने लगा है। जिले में एके लड़की के पिता ने अपनी बेटी की शादी के लिए अनिवार्य शोचालय की शर्त रख दी, जिस पर अंतत न सिर्फ लड़के वाले बल्कि विवाह में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले भी अब अपने घरों में शोचालय बनाने को तैयार हो गए। अब लड़के के घर पर शोचालय तैयार होना शुरू हो गया है उसके बाद इस घर में शहनाई बजेगी।

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स्वच्छता की आवश्यकता को बल मिलेगा। साथ ही इसके फायदे को देखते हुए समाजजन भी इसे अपनाएंगे। उसे इस बात का भी गर्व है कि जिस घर में उसका विवाह हो रहा है वे पहले से ही उसकी बातों का सम्मान कर रहे हैं और सही है, उसे स्वीकार कर रहे हैं। शायद यही बदलाव है और उम्मीद करते हैं कि इस जिले अज्ञानता एवं पिछड़ेपन का अंधेरा दूर होगा।

 

बेटी को भी है पिता पर गर्व:

अपने पिता द्वारा शादी के लिए अनिवार्य शोचालय की शर्त रखने ओर लड़के वालों द्वारा शर्त को मंजूर किए जाने से लड़की आशा बेहद खुश है। आशा का मानना है कि यह महिला सम्मान ओर सुरक्षा के लिए जरूरी है। आशा ने बताया कि जिस प्रकार से उसके पिता ने उसके विवाह से पूर्व शोचालय की शर्त रखी है यह मेरे लिए ही नहीं महिला समाज के लिए गर्व करने वाली बात है, क्योंंकि सिर्फ विवाह की शर्त रखकर मेरे पिता ने ऐसा कार्य किया है जिससे मेरा परिवार ही नहीं बल्कि पूरा गांव इससे जागरूक होगा जिससे गांव की महिलाओं की सुरक्षा एवं सम्मान कायम रह सकेगा और इसे देखते हुए समाज में भी शोचालय एवं स्वच्छता की आवश्यकता को बल मिलेगा। साथ ही इसके फायदे को देखते हुए समाजजन भी इसे अपनाएंगे।