झाबुआ में गैंगवार, खून से रक्त रंजित हुई अयोध्या बस्ती

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चंद्रभानसिंह भदौरिया@एडिटर
झाबुआ की अयोध्या बस्ती में आज सुबह फिल्मी स्टाइल में गैंगवार देखने को मिला। जमकर तलवार, पत्थर चले व खून बहा और पुलिस ने लाठियां भी भांजी। नतीजा इस गैंगवार में आठ से दस लोग घायल हो गए इनमें से कुछ को तलवार लगी है तो कुछ को पत्थर। तलवार के हमले में शिक्षक भूरालाल समेत कुछ लोग घायल हो गए। वहीं भूरालाल पक्ष पर भी अजय के गैंग पर पत्थरों से हमला करने का आरोप लगा है। बहरहाल इस पूरे विवाद के बाद झाबुआ कोतवाली पर दोनों पक्षों के खिलाफ क्रॉस एफआईआर दर्ज हुई है जिनमें धारा 307, 147, 148, 149, 323, 294 एवं 324 आयपीसी शामिल है। दोनों ही पक्षों के खिलाफ हत्या के प्रयास, बलवा करने, गली गलौच करने एवं मारपीट की धाराएं लगाई गई है।

गैंगवार से पुलिस पर उठे सवाल-
झाबुआ जिला मुख्यालय की अयोध्या बस्ती में जुए, सट्टे एवं नशीले कारोबार का धंधा लंबे समय से चल रहा है। जाहिर सी बात है कि पुलिस सहमति के बगैर यह संभव नहीं था। दरअसल, विवाद पिछले पखवाड़े शुरू हुआ, जब अयोध्या बस्ती में सट्टा-जुआ खेलने की शिकायतों के बाद एसपी के नेतृत्व में काम करने वाली क्राइम ब्रांच ने सट्टे के दो-तीन प्रकरण दर्ज किए। इसके बाद इस कारोबार में लगे लोगों को मुखबिरी का संदेह दूसरे पक्ष पर हुआ, तब से तनाव बढ़ता गया और इस तनाव ने आज हिंसक रूप धारण कर लिया। दरअसल लंबे समय से पुलिस को बस्ती के कई लोग सट्टा, समेत अवैध गतिविधियों की सूचनाएं ज्यादातर मौखिक और कुछ मामलों में लिखित देते रहे। लेकिन पुलिस खामोश रही, नतीजा आज गैंगवार के रूप में सामने आया।

जिन पर हुआ जानलेवा हमला उन पर भी लगा दी 307 एवं बलवा करने की धारा-
पुलिस अयोध्या बस्ती में सट्टे का कारोबार करने वालों से कितनी मिली हुई है, कितना संरक्षण देती है इसकी बानगी आज हुई गैंगवार के बाद सामने आई। शिक्षक भूरालाल व उनके परिवार की एक लडक़ी पर तलवारों से हमला किया गया, वे बुरी तरह से जख्मी हुए जैसे-तैसे उनकी जान परिजनों डिफेंस में पत्थर चलाकर बचाई। लेकिन भूरालाल और उनके परिवार के कुछ लोगों पर भी धारा 307 यानी हत्या का प्रयास एवं बलवा करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई। इतना ही नहीं कोतवाली में एमएलसी करवाने के बाद जब भूरालाल के परिवार के कुछ लोग बयान देने के उद्देश्य से पहुंचे, तो उनके साथ बदसुलूकी कर उन्हें हिरासत में ले लिया गया। मामले में क्रास एफआईआर दर्ज करना एवं एक समान धाराएं लगाना यह साबित करता हैं कि स्थानीय पुलिस की भूमिका संदिग्ध है और मंशा गैंगवार में तलवार लेकर उतरे आरोपियों एवं सट्टा कारोबारियों को बचाने की है। क्योंकि क्रॉस रिपोर्ट का सीधा सा मतलब होता है दोनों पक्षों को न्यायालय में समझौते के लिए मजबूर करना है।

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