इस महिला ” अध्यापक ” की जिद ने ” मध्यप्रदेश ” के सिस्टम की बजा दी घंटी ; अब नियम बदलने को मजबूर सरकार

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एक महिला अध्यापक की सिस्टम से लडने की जिद ने अब सरकारी सिस्टम की घंटी बजा दी है अब हाईकोट॔ ने सरकार की नीति को भेदभाव पूण॔ बताकर नीति बदलने को कहा है ।

by रितेश गुप्ता 

आदिवासी बहुल झाबुआ की एक अध्यापक जयश्री शर्मा की जिद ओर हिम्मत से अब मध्यप्रदेश सरकार को अपना फैसला बदलना होगा । दरअसल मध्यप्रदेश मे सभी विभागों मे महिलाओं को चाइल्ड केयर लिव देने का नियम है सिवाय शिक्षा या आदिवासी विकास विभाग मे पदस्थ अध्यापकों के । ओर इसी नियम के तहत जब 2016 मे झाबुआ की थादंला मे पदस्थ अध्यापक जयश्री शर्मा को चाइल्ड केयर लीव देने से सरकार ने मना किया तो वे इस भेदभाव के खिलाफ हाईकोर्ट चली गयी ओर हाईकोर्ट ने इस नियम को भेदभाव की संज्ञा देकर सरकार को आदेश दिया कि वह इस भेदभाव को समाप्त करें । हालांकि इस केस के चलते जयश्री को चाइल्ड केयर लीव का लाभ तो नहीं मिला लेकिन अब शिक्षा & आदिवासी विकास विभाग की हजारों महिला अध्यापकों ( करीब 75 हजार) को उनकी इस हिम्मत से फायदा होगा ।

भेदभाव के खिलाफ आदेश
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अभी तक महिला ओर पुरुषों के बीच भेदभाव के मामले सामने आते रहे है लेकिन यह पहला ऐसा मामला था जब एक अध्यापक ने महिला कर्मचारियों के बीच भेदभाव को फोकस किया । अंततः हाईकोर्ट ने माना कि यह ना सिर्फ भेदभाव पूण॔ है बल्कि अमानवीय भी है इसलिए सरकार को आदेशित किया गया है कि वह तत्काल भेदभाव को समाप्त करें ।

यह था जयश्री शर्मा का मामला
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दरअसल जयश्री शर्मा ने 7 जनवरी 2016 से 29 जनवरी 2016 तक चाइल्ड केयर अवकाश लिया था उस समय तक यह लाभ अध्यापकों को मिलता था लेकिन अचानक शाशन ने 27 नवंबर 2015 के एक स्पष्टीकरण आदेश का हवाला देकर जयश्री शर्मा को नोटिस दिया कि वह जिस चाइल्ड केयर लीव का लाभ ले चुकी है उसे अन्य अवकाशो मे समायोजित करें । लेकिन जयश्री ने ऐसा करने से मना कर दिया ओर कुछ दिनों के पत्राचार के बाद हाईकोट॔ चली गयी जहां उनकी जीत हुईं ।