इलाज मे लापरवाही पर सख्त हुई सबसे बडी अदालत , 6 हफ्ते बाद दे सकती है कोई बडा फैसला

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झाबुआ Live डेस्क के लिए ” मुकेश परमार ” की EXCLUSIVE रिपोर्ट ।

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मेडिकल नेग्लिजेंस यानी इलाज में लापरवाही के बढ़ते मामले, इंटेंसिव केयर यूनिट(आई सी यू) और क्रिटिकल केयर यूनिट( सी सी यू) में इलाज के लिए सरकारी दिशा निर्देश के अभाव को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों को नोटिस जारी किया है. सभी को 6 हफ्ते में अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करना है. सभी पक्षों को ये बताना है की आईसीयू और सीसीयू में इलाज के लिए क्या गाइडलाइंस हैं जिसका पालन करना सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के लिए जरूरी है.

नेशनल कंस्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमीशन (NCDRC) यानी राष्ट्रीय उपभोगता विवाद निवारण आयोग के फैसले के खिलाफ कल्याण, पश्चिम बंगाल के एक परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी. सुनंदा मंडल नाम की एक महिला की कल्याण के एक नर्सिंग होम में डिलीवरी के बाद पोस्ट ऑपरेटिव स्टेज में ही मौत हो गई थी. सुनंदा के लीवर में कुछ खराबी थी और अस्पताल ने उसका लीवर फंक्शन टेस्ट(LFT) कराए बगैर ऑपरेशन कर दिया. सुनंदा का बिलुमिन लेवल सामान्य से 30 गुना ज्यादा हो गया और उसकी मौत हो गई.

इलाज में लापरवाही बढ़ी

NCDRC ने इलाज में लापरवाही को लेकर डाली गई उनकी अर्जी को पहली ही सुनवाई में खारिज कर दिया और कह दिया था कि ये इलाज में लापरवाही का मामला नहीं बनता. इस फैसले के खिलाफ सुनंदा के ससुर असित मंडल और पति सुधांशु मंडल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. हालांकि ये एक इंडिविजुअल मामला था लेकिन सुनवाई के दौरान मंडल परिवार के वकील राबिन मजुमदार ने जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच के सामने ये दलील दी की इलाज में लापरवाही के मामले बढ़ते जा रहे हैं और ऐसे में आईसीयू और सीसीयू में इलाज के लिए कोई सरकारी दिशा निर्देश भी नहीं हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इस मामले को जनहित से जुड़े मामले की तरह ट्रीट किया और केंद्र सरकार, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अर्जी पर आरोपी डॉक्टर और उसके अस्पताल को भी नोटिस जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के पहले हफ्ते में होगी