तपस्वियों का निकला वरघोड़ा, हुआ बहुमान

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झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
साध्वी रत्नत्रयाश्रीजी व साध्वी तत्वत्रतयाश्रीजी के सानिध्य में नगर में धर्म की गंगा बह रही है, जिसमें चार्तुमास पर्व के दौरान प्रतिदिन विभन्न धर्म आयोजन हो रहे हैं। साध्वी मंडल के सानिध्य में धर्म-ध्यान, त्याग-तपस्या को ठाठ लगा हुआ है। ज्ञान, दर्शन, चरित्र की महत्ती धर्म आरधना चल रही है, श्रद्धालुु प्रतिदिन साध्वीश्री के मुखारविंद से अमृतवाणी श्रवणपान कर धर्म आरधाना का लाभ प्राएंत कर रहे हैं। साध्वी की निश्रा में तपस्या का भी ठाठ लगा हुआ है इसी कड़ी में नगर के पांच तपस्वियों ने अ_ाई तप (8 उपवास) की तपस्या पूर्ण की। तपस्वी सुनीता लुणावत, ललीता चाणोदिया, मोनिका मुणत, मेघा कोठारी, मोनिका लुणावत के 8 उपवास होने पर नगर में भव्य वरघोड़ा बैंडबाजों और ढोल ढमकों के साथ निकाला गया, जिसमें आगे घोड़ों पर बच्चे जैन धर्म का ध्वज लेकर शामिल हुए। बग्घी में सवार तपस्वीयों का कई जगह बहुमान भी किया गया, जिसमें सभी समाजजनों सहित बाहर से आएं श्रीसंघ भी शामिल हुए, वरघोड़े में तपस्वियों की बग्घी के साथ भगवान का राथ भी आगे चल रहा था, जगह-जगह भगवान की गहुली भी की गई। वरघोड़े में युवक-युवतियां नाचते-गाते, गरबा करते हुए चल रहे थे. वरघोड़ा तेरापंथ सभा भवन से प्रारंभ होकर नगर के विभन्न मार्र्गों से होता हुआ। पेटलावद रोड स्थित स्थानक भवन पहुंचकर धर्मसभा और बहुमान सभा में परिवर्तित हो गया। धर्मसभा में बहुमान लाभार्थी परिवार चाणोदिया परिवार, नाकोड़ा आशीर्वाद, मेहता परिवार, लुणावत परिवार और जैन त्रिस्तुतिक संघ, वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, चारथुई श्रीसंघ, तेरापंथ श्री संघ, तेरापंथ महिला मंडल द्वारा बहुमान किया गया.
अन्न का त्याग करना कठिन है
धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी रत्नत्रयाश्रीजी ने कहा कि तप करना आसान नहीं है, तप की महिमा अपरंपार है। तप करने से धर्म का रंग दिल में बस जाता है और मुक्ति आसान हो जाती है। समय-समय पर पर आरधना से जुड़े रहना चाहिए. आज के दउर में अन्न का त्याग करना बहुत कठिन है, आज इंसान सोचता है कि अगर मैरे रावण जैसे 10 सिर होते तो कितना अच्छा होता है। मैं एक मुंह की जगह 10 मुंह से खा पाता और इस स्वाद की दुनिया में मउज मस्ती कर पाता इसलिए तप के भावों को मन में जागृत करों और अपनी काया शुे रखो साथ ही जिस प्रकार इन 5 बहनों तप आरधना की है, इसे ही भाव आप सब भी जागृत करे, धर्मसभा का संचालन विमल मूथा ने किया।