सांसद दिलीपसिंह भूरिया का निधन , जानिए उनका परिचय

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झाबुआ लाइव डेस्क । रतलाम – झाबुआ सांसद दिलीपसिंह भूरिया का दुखद निधन हो गया है आज उन्होंने गुड़गांव के “मेदांता” अस्पताल मे अंतिम सांस ली। करीब 15 दिन पहले रतलाम मे एक काय॔क्रम के दोरान उन्हें हाट॔ अटैक आया था जिसके बाद उन्हें पहले इंदौर के अपोलो ओर उसके बाद गुडगाँव के मेदांता अस्पताल में रैफर किया गया था । विगत 4 दिन पूर्व ही उनके हृदय ने काम करना बंद कर दिया था ओर वे वेंटिलेटर पर थे आज सुबह मेदांता के डाक्टरो की एक टीम ने उन्हें मृत घोषित कर दिया । उनके पार्थिव शरीर को हवाई जहाज से इंदौर ओर वहा से उनके पैतृक गाव “माछलिया” लाया जा रहा है जहाँ कल सुबह 11 बजे अंतिम संस्कार मुख्यमंत्री सहित आला मंत्रियों की मौजूदगी मे होगा ।

जानिए सांसद भूरिया को—-

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दिलीपसिंह भूरिया एक राष्टीय स्तर के आदिवासी नेता था राष्टीय मंचो पर आदिवासी समाज के हित मे आवाज उठाने मे बाकी सभी उनसे पीछे थे । वे इंदिरा गांधी के करीबी रहे थे उन्हें इंदिरा गांधी ने लोकसभा मे सचेतक बनाया था । वही नरसिम्हाराव सरकार के समय प्रदेश की पटवा सरकार को भी उन्होंने खुब छकाया था । IMG-20150624-WA0493

6 बार रहे सांसद

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दिलीपसिंह भूरिया अपने राजनीतिक जीवन मे 6 बार सांसद रहे । वह 7,8,9,10,11 लोकसभा मे काग्रेस के सांसद रहे तो 16 वी लोकसभा मे वे भाजपा के सांसद चुने गये । वे अटल सरकार मे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति – जनजातीय आयोग के अध्यक्ष रहे तो भूरिया आयोग के भी अध्यक्ष रहे । पैसा कानून जो आदिवासियो को सुरक्षा प्रदान करता है उसे बनाने का श्रेय भूरिया को ही जाता है । वह 1980 मे पहली बार सांसद बने थे ओर 16 साल तक लगातार सांसद रहे । उसके बाद वे भाजपा से लगे लेकिन पराजित हो गये थे ।

आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग की थी

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दिलीपसिंह भूरिया ने दिग्विजय सिंह के अध्यक्ष ओर मध्यप्रदेश के अविभाजित रहते आदिवासी मुख्य मंत्री की मांग की थी उस समय अजीत जोगी ने भूरिया को समथ॔न दिया था मगर दिग्विजय सिह ने कांतिलाल भूरिया को आगे बढाकर दिलीपसिंह भूरिया को कांग्रेस छोडने पर विवश कर दिया था ।

बडे आदिवासी नेता थे

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ममध्यप्रदेश के जिन आदिवासी नेताओ नेता राष्टीय स्तर पर पहचान बनाई उनमे दिलीपसिंह भूरिया सबसे कद्दावर थे प्रदेश की बात करे तो शिवराजसिंह सोलंकी ओर जमुनादेवी के समकक्ष थे ।उन्होंने दो बार कांग्रेस छोडी थी ओर एक बार भाजपा छोडकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी मे भी रहे ।

तेंदूपत्ता नीति भी बनवाई

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मोतीलाल वोरा के सीएम रहते दिलीपसिंह भूरिया के नेतृत्व मे तेंदूपत्ता नीति बनाने के लिए भूरिया कमेटी बनाई गई थी जिसकी अनुशंसा पर मध्य प्रदेश की तेंदूपत्ता नीति बनकर लागु हुई थी ।

यह भी थी उपलब्धिया

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दिलीपसिंह भूरिया अखिल भारतीय सहकारी संघ के अध्यक्ष भी थे ओर बोफोर्स घोटाले की प्रारंभिक जांच के लिए बनी संसदीय कमेटी के भी वे सदस्य थे ।वे कई संसदीय समितियो के सदस्य भी रहे ओर हाल ही मे भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने कांग्रेस को संसद मे करारा जवाब भी देकर सुर्खिया बटोरी थी ।

बेबाक राजनेता थे भूरिया

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दिलीपसिंह भूरिया एक बेबाक , ईमानदार ,सरल,सहज नेता माने जाते थे उन पर कोई राजनीतिक जीवन मे ऊँगली नही उठा पाया था । बडे से बडे नेता के मामले मे वे अपनी बात बेबाकी से कहते थे । विगत एक साल मे वे परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की शिकायत प्रधानमंती मोदी से एन एच 59 को लेकर कार चुके थे ओर मध्यप्रदेश सरकार पर आदिवासीयो को बदनाम कर शराब ठेकों के जरिए करोडो रुपये कमाने का आरोप लगा चुके थे ओर साथ ही पीएम से हस्तक्षेप करने की मांग भी कर चुके थे जिसके बाद शिवराज सरकार की किरकिरी भी हुई थी ।

अटल – मोदी के थे करीबी

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दिलीपसिंह भूरिया भाजपा के दो प्रधानमंत्रीयों अटल बिहारी वाजपेयी ओर नरेंद मोदी के करीबी रहे है दोनो पीएम उन्हें आदिवासी समाज का बडा चिंतक ओर जानकार मानकर सम्मान देते है मोदी ने ही इस बार हस्तक्षेप कर दिलीपसिंह जी को भाजपा का सांसद टिकट दिलवाया था वरना भाजपा तो निर्मला भूरिया को सांसद का टिकट दे चुकी थी ।