सत्रह वर्षीय मुमुक्षु शीतल बाफना राहता महाराष्ट्र का श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ने किया बहुमान

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रितेश गुप्ता @थांदला

आचार्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. के सुशिष्य प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. के मुखारविंद से आगामी 5 फरवरी 22 वसंत पंचमी के दिन मध्यप्रदेश के धार नगर में जैन भगवती दीक्षा ग्रहण करने जा रही सत्रह वर्षीय मुमुक्षु शीतल बाफना राहता महाराष्ट्र का श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ थांदला द्वारा सोमवार को साध्वी धर्मलता जी म.सा.आदि ठाणा-3 व साध्वी निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा-4 के पावन सानिध्य में बहुमान समारोह आयोजित किया गया।
स्थानीय नयापुरा स्थित जैन मंदिर प्रांगण से मुमुक्षु शीतल बाफना की जयकार यात्रा निकली।जयकार यात्रा में श्रावक-श्राविकाएँ श्रमण भगवान महावीर स्वामी,आचार्य श्री उमेशमुनिजी, प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी व दीक्षार्थी बहन की जय-जयकार व गुरु गुणगान करते हुए चल रहे थे।यात्रा के पूर्व श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा समस्त श्रावक-श्राविकाओं की नवकारसी का आयोजन नयापुरा में किया गया।
यात्रा नयापुरा,गणेश मंदिर गली,आज़ाद चौक होती हुई पौषध भवन स्थानक पर पहुँचकर बहुमान समारोह में परिवर्तित हो गई।
बहुमान समारोह को संबोधित करते हुए साध्वी धर्मलता जी ने कहा कि विरली आत्मा ही संयम मार्ग की ओर कदम बढ़ाती है।छोटी उम्र में मुमुक्षु शीतल बहन संयम पथ पर बढ़ने जा रही है इस हेतु इन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद।इनका यह त्याग निराला है।संयम और असंयम पर आपने विस्तृत प्रकाश डाला।
इस अवसर पर साध्वी निखिलशीलाजी ने कहा कि धन का अर्जन करने में सुख है या धन का विसर्जन करने में? संसारी को धन अर्जन करने में लगता है लेकिन त्यागी आत्मा को धन के विसर्जन में सुख की प्राप्ति होती है।शीतल बहन समझपूर्वक धन परिग्रह को त्याग कर सुखी बनने की ओर अग्रसर हो रही है।परिग्रह को हाथ का मैल समझकर त्याग करना चाहिए।साध्वी जी ने संयम के विषय मे आगे फरमाया की नीरस जीवन से सरस जीवन मे प्रवेश को संयम कहा जाता है।दीक्षा कौन ले सकता है?जिन्हें भोग खेंकार के समान लगते है वही दीक्षा ले सकते है।साध्वी निखिलशीलाजी व साध्वी मंडल शीतल बहन को मंगलकामना देते हुए सुंदर स्तवन प्रस्तुत किया।समारोह को साध्वी अपूर्वाजी ने भी संबोधित किया।उल्लेखनीय है कि मुमुक्षु शीतल बहन बाफना साध्वी प्रवीणा जी की शिष्या बनेगी।
श्री संघ और से पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ स्वाध्यायी भरत भंसाली ने सभा मे अपने विचार रखे।श्री संघ की और से संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत,पूर्व अध्यक्ष प्रकाशचंद्र घोड़ावत,रमेशचंद्र चौधरी,नगीनलाल शाहजी,भरत भंसाली, महेश व्होरा,कोषाध्यक्ष प्रकाश शाहजी व श्री ललित जैन नवयुवक मंडल की और से मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा, पूर्व अध्यक्ष प्रवीण पालरेचा,हितेश शाहजी,कपिल पीचा,सचिव संदीप शाहजी,कोषाध्यक्ष अखिलेश श्रीश्रीमाल, आदि ने मुमुक्षु शीतल बहन का शाल ओढ़ाकर व माला पहनाकर,रजत कलश व अभिनंदन पत्र भेंट कर बहुमान किया।वही धर्मलता जैन महिला मंडल की और से अध्यक्ष सुधा शाहजी,सचिव अनुपमा श्रीश्रीमाल,अखिल भारतीय चंदना श्राविका संगठन की ओर से प्रांतीय अध्यक्ष इंदु कुवाड,राष्ट्रीय सहसचिव संध्या भंसाली,तेरापंथ सभा की ओर से कामिनी रुनवाल,श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन श्री संघ की ओर से कमलेश जैन(दाईजी) आदि कई संस्थाओं व परिजनों द्वारा दीक्षार्थी बहन का बहुमान किया गया।मुमुक्षु शीतल बहन बाफना ने मधुर स्तवन के माध्यम से साध्वी मंडल व श्री संघ को दीक्षा में पधारने का निमंत्रण दिया।
सभा का संचालन श्री संघ के सचिव प्रदीप गादिया ने किया वही आतिथ्य सत्कार का लाभ कांतिलाल छाजेड़ परिवार ने लिया।