मस्जिद में बैठकर कर रहे एतेकाफ की इबादत में युवाओ ने कहा ‘अलविदा अलविदा माहे रमजान अलविदा’

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
मुस्लिम समाज का सबसे बड़ा त्योहार रमजान आज रुखसत हो जाएगा। इस माह में मुस्लिम समाज के पांच साल के बच्चे से लगाकर बुजुर्गों ने अल्लाह की इबादत में मशगुल रहे व रोजे और नमाज में पूरा एक माह बिताया। इसके जाने का गम कई रोजेदारों है क्योकि आने वाला रमजान शायद उसके नसीब में हो न हो यही सोचकर बंदा अपने खुदा की इबादत में दिलों जान से जुट जाता है। तीस दिनों का यह त्योहार मुस्लिमो की जिंदगी के लिए कई तोहफे लेकर आता है 11 माह तक इनसान गुनाह करता है तो ये माह बंदे के लिए बख्शीस का जरिया बनकर उसको नेक हिदायत भी देता है। उक्त प्रेरणादायी उदगार मौलाना इस्माइल बरकाती ने धर्मावलंबियों से कही। मौलाना साहब ने कहा कि कुरान एक इस्लामी किताब है उसको किसी ने नहीं लिखा है वह सीधे आसमान से आई है उस किताब में रोजे रखने का हुक्म दिया गया है। जान बूझ कर रोजा छोड़ ने वाला गुनहगार होता है। मुसलमानों का यकीन यह है की हमारी हकीकत की जिंदगी तो मरने के बाद शुरू होगी इस दुनिया मे तो रब ने हमें इसलिए भेजा है की अच्छे सच्चे और नेक काम कर के अपनी आखिरत की जिंदगी को संवारने और अच्छा बनाने की कोशिश करे। वही बुजुर्गो ने इस दुनिया को आखिरत (परलोक) की खेती कहा है जिस तरह किसान फसल बोने के मौसम में खेतों में बीज बिखेरता है फिर उसकी हिफाजत करके फसल काटता है बिल्कुल इस तरह दुनिया मे हमे अच्छे बुरे कामों के बीज बोते है और आखिरत की जिंदगी में अपने कामों का फल पाते है। ऐसा ही दस दिनों से मस्जिद में बैठ कर एतेकाफ की इबादत में युवाओं को समझाइश देते हुए मौलाना इस्माइल कादरी ने कहा।
पूरे माह चला अफ्तारी का सिलसिला
आठ दस नौवजवानों की टीम ने पूरे माह जमात खाने में रोजा अफ्तार का कार्यक्रम नि:स्वार्थ भाव से किया रोज नए-नए लजीज पकवान बनाकर रोजेदारों को रोज अफ्तार करवाते रमजान माह के दौरान खुदा की इबादत में मशगूल रहने के बाद ईद की खुशियां भी रोजेदारों के लिए कम नही होती। नजारा मुस्लिम बस्तियों में रोशनी से जगमगाते हुए मस्जिद ओर मकान बाजार में दुकानों पर खरीदी की भीड़ सभी के मुस्कुराते चेहरे में ईद की खुशियां नजर आती है। जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना इस्माइल कादरी ने बताया की 29वां चांद दिखा तो आज ईद नही तो मंगलवार को मनाई जाएगी। ईद अगर बारिश नही हुई तो ईदगाह में और बारिश हुई तो जामा मस्जिद में पढ़ाई जाएगी। ईद की नमाज नवीन परिधान में सज धज के समाजन प्रात: 9.30 बजे बजे ईद की नमाज अदा कर देश मे भाई चारा अमन-चैन व अच्छी बारिश के लिए विशेष दुआएं की जाएगी।