दिव्यांगों की बेहतर सेवा के लिए दिल्ली में कलेक्टर आशीष सक्सेना को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

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झाबुआ। दिव्यांगों को बेहतर सेवाएं देने के लिए झाबुआ जिले के विकलांग पुनर्वास केन्द्र को दूसरी बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। जिले में 2015-16 में दिव्यांगो की बेहतर सेवा के लिए झाबुआ केन्द्र को राष्ट्रीय पुरस्कार आज विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित दिव्यांग सशक्तिकरण पुरस्कार वितरण समारोह में कलेक्टर आशीष सक्सेना ने प्राप्त किया। इसके पूर्व 2001 में भी झाबुआ विकलांग पुनर्वास केन्द्र को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। जिले ने इस बड़े पुरस्कार के लिए दूसरी बार चयनित होकर बड़ी उपलब्धि अर्जित करने में कामयाबी हासिल की है और विश्व विकलांग दिवस पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में कलेक्टर आशीष सक्सेना को शील्ड व प्रमाण पत्र प्रदान कर जिले को सम्मानित किया गया। 2000 में झाबुआ से सटे रंगपुरा में विकलांग पुनर्वास केंन्द्र स्थापित हुआ। सामाजिक सेवा विभाग के अंतर्गत इस केन्द्र को स्थापित करने में तत्कालीन कलेक्टर ने व्यापक प्रयास किए। अपने पहले वर्ष में ही सेवा मामले में एक अच्छी साख इस संस्था ने बना ली। केन्द्र सरकार ने 2001 में राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जिसे तत्कालीन कलेक्टर ने दिल्ली जाकर राष्ट्रपति के हाथों ग्रहण किया।
ये रहे प्रमुख कार्य-
विकलांग पुनर्वास केन्द्र के माध्यम से जिले के 6 विकासखंड मुख्यालयों पर अनुभूति अभियान के अंतर्गत विशेष शिविरों का आयोजन जिले में लगातार किया गया। इन शिविरों के माध्यम से 8 हजार 500 दिव्यांगों को लाभ पहुंचाया गया। कृत्रिम अंगों के वितरण के अलावा सर्जरी भी की गई। दो वाहनों के माध्यम से लगातार दिव्यांगों को सेवाएं दी जा रही है। जिले के 53 दिव्यांग बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय संचालित हो रहा है। जिसमें नवीन तकनीक से बच्चों को पढाया जाता है। फिजियोथेरेपी सेंटर पर प्रतिदिन 20-25 लोग आकर लाभ लेते है। अलीराजपुर जिला अलग होने के बाद भी लगातार वहां सेवाएं दी जा रही है। अब तक जिले के 19 हजार 300 दिव्यांगजनों को प्रमाण पत्र दिए जा चुके है।
दृष्टिबाधितों के लिये संचालित है ब्रेल कम्प्यूटर लैब
विकलांग पुनर्वास केन्द्र प्रदेश का एक मात्र ऐसा संस्थान बन गया है। जहां दृष्टि बाधित दिव्यांग बच्चो को कम्प्यूटर ज्ञान सीखाने के लिए ब्रेल साफ्टवेयर आधारित कम्प्यूटर लैब संचालित है और दृष्टि बाधित बच्चों को कम्प्यूटर संचालन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।