झाबुआ जिले की प्रशासनिक हलचल

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@चंद्रभान सिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर

अग्रवालजी का जलवा जारी है ?

झाबुआ जिले के प्रशाशनिक गलियारों मे विगत कई महीनों से किन्ही अग्रवालजी की बडी धुम मची है बताते है यह अग्रवालजी अपने आपको प्रभारी मंत्री ओर कलेक्टर का खासमखास बताकर अधिकारियों को दबाते है आलम यह है कि यह अग्रवालजी अधिकारियों से सप्लाई आदि का काम मांगते है ओर काम ना दिया जाये तो काम ना देने के एवज मे कमीशन हर्जाने के रुप मे मांगते है अब यह अग्रवालजी क्या वाकई मे प्रभारी मंत्री या कलेक्टर के खास है ? यह तो यही दोनों जाने लेकिन अधिकारियों मे जिस तरह का भय है इस अग्रवाल नाम से उससे तो लगता है कि दाल मे कुछ काला जरुर है ।

… ओर निकल गया ₹ 50 लाख से अधिक का भुगतान

विगत शिक्षा सत्र मे एक जबरदस्त गेम हुआ ..स्कूलो के मेंटेनेस के लिए रुपया पहले शाला प्रबंधन समिति के खाते मे डाला गया ओर फिर उनके जरिए छत के छोटे से हिस्से मे सीमेंट घोलकर लगाकर भुगतान ले लिया गया । दिलचस्प बात यह रही कि इस महान काम के लिए झाबुआ जिले के कारीगर या ठेकेदार ही नहीं मिले बकायदा इंदोरी ओर बाहर की फम॔ को यह काम देकर राशि निकलवा ली गयी । बतायें है एक बहुत बडे अधिकारी के संरक्षण मे यह खेल हुआ वह अधिकारी कोन है आप समझ लीजिये ना समझ मे आये तो अगले अंक मे समझायेंगे ।

क्या कोई सद्भावना ना बन पाना है नियुक्ति मे देरी का कारण ?
करीब 45 दिन पहले 7 मई को झाबुआ जिले के 6 बीआरसी ओर 4 एपीसी पदो के लिए सव॔ शिक्षा अभियान ने कलेक्टर द्वारा बनाई गयी एक समिति के जरिए काउंसिलिंग की थी लेकिन काउंसिलिंग के बाद डेढ माह का समय बीत गया है लेकिन नियुक्ति आदेश जारी नहीं हो पा रहे है विभागीय स्तर पर चर्चा है कि शायद नियुक्त होने वाले वैसी सद्भावना नहीं बना पा रहे है जो ऐसी नियुक्तियों मे बनाई जाती रही है शायद इसलिए मामले को खींचा जा रहा है अन्यथा जब सब कुछ वैधानिक प्रकिया से कलेक्टर के संज्ञान मे ही हुआ है तो फिर नियुक्ति आदेश जारी करने मे देरी क्यो ?

कमाल है भाई ; शहरवासी बना दिये गये ” मनरेगा” के मजदूर

विगत साल बारिश मे शहरवासीयों ने पुलिस ओर वन विभाग के साथ मिलकर शहर की हाथीपावा पहाड़ी पर 8500 पोधे लगाए थे जो अब वृक्ष बनने जा रहे है लेकिन विगत पखवाड़े हाथीपावा की दीवार पर यह काय॔ मनरेगा से होना दर्शाया गया है .. खैर इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं है यहाँ जब बिना जमीन पर काम हुए मनरेगा मे काम दर्शाये जाने के उदाहरण है तो यहाँ तो काम हुआ है ।

पटवारी NN के प्रति प्रशासन का अगाध प्रेम जारी है

झाबुआ जिला मुख्यालय के दो पटवारीयों के प्रति जिला प्रशाशन का अगाध प्रेम जारी है पहले है झाबुआ शहर के पटवारी ” नानुराम ” जिनका पता नहीं क्यो झाबुआ शहर मे एक तरह से ” पट्टा ” हो गया है ओर दूसरे है झाबुआ से सटे हल्का नंबर 18 मे पदस्थ पटवारी नटवर कछोटिया । अब देखिए नटवर को मंत्री के विधानसभा मे दिये गये आदेश के बावजूद प्रशाशन ने बचा लिया था वह तो झाबुआ लाइव ने मुद्दा उठाया तब मजबूर होकर एफआईआर दर्ज करवाई लेकिन बहाल करके उस नटवर को फिर एक मलाईदार हल्का दे दिया गया ओर तो ओर रिकार्ड मे फरार चल रहे इस पटवारी को राजस्व विभाग इस हल्के मे बनायें रखने मे मनोयोग से जुटा है अभी रिकार्ड मे उसे स्वास्थ कारणों से छुट्टी पर होना बताया जा रहा है ताकी किसी ओर को चाज॔ ना देना पडे ओर उधर नानुराम ने झाबुआ लाइव के कैमरै पर कबुला था कि हा पहाड़ी की खुदाई हुई है वीडियो कलेक्टर ने भी देखा लेकिन नानुराम पर कोई कारवाई नहीं की गयी जबकि नानुराम का कबुलनामा ही उसकी लापरवाही बताता है अब आप समझ ही गये होंगे कि यह दोनों NN क्यो प्रिय है जिला प्रशाशन ओर राजस्व के अमले को !!

क्या कारवाई की छुट्टी देने के लिए रिश्वत लेने वाले डाक्टर पर कलेक्टर साहब ?
हमारे झाबुआ के कलेक्टर भ्रष्टाचार ओर भ्रष्टाचारियों को लेकर कितने सख्त है इसकी बानगी देख लीजिये .. एक युवक ने एक माह पहले एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि पेटलावद के एक डाक्टर ने उसकी प्रसुता बहन की अस्पताल से छुट्टी देने के लिए ₹ 300 की कथित रिश्वत ली ; उसके बाद जिला कलेक्टर ने 3 दिन मे पेटलावद के IAS एसडीएम से रिपोर्ट मांगी थी ; रिपोर्ट आई या नहीं पता नहीं ? ओर ना यह पता चल रहा है कि संबंधित डाक्टर पर क्या कारवाई हुई ! आखिर ऐसा क्यो हो रहा है समझ रहे है ना आप ? …इसलिए तो कहते है

“ऐसा है रे मेरा जिला यह झाबुआ”
“यहाँ जिम्मेदार मुंह मे राम – बगल मे छुरी रखते है”