कांग्रेस की जीत मे ” कांतिलाल ” के ” प्रशांत किशोर” बने ” डा विक्रांत भूरिया “

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झाबुआ / अलीराजपुर लाइव डेस्क । 

कांतिलाल भूरिया
कांतिलाल भूरिया

कांतिलाल भूरिया अंतत 88877 वोटो से झाबुआ / रतलाम लोकसभा उपचुनाव जीत गये । कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित तमाम मीडिया ने कांतिलाल भूरिया की शख्सीयत ओर बीजेपी सरकार की मैदानी विफलता को इसका जिम्मेदार ठहराया । यह बात सच भी है लेकिन आज हम आपको बता रहे है एक ऐसे शख्स के बारे मे जिसने कांतिलाल भूरिया के लिऐ ” प्रशांत किशोर” की भूमिका निभाई ।

डा विक्रांत भूरिया बने प्रशांत किशोरIMG-20151127-WA0354  जिस तरह नरेंद्र मोदी ओर नीतिश कुमार  शानदार राजनीतिक है लेकिन चुनावी प्रबंधन के बिना यह लोग भी बेकार साबित होते है उसी तरह इस बार कांतिलाल भूरिया के लिऐ प्रशांत किशोर बने उनके डा बेटे ” विक्रांत भूरिया ” । दरअसल डा विक्रांत ” जूडा” यानी जूनियर डाक्टर ऐसोसिऐशन के अध्यक्ष रह चुके है ओर झाबुआ मे तीन साल पहले ही शिफ्ट हुऐ ओर अपनी पत्नी डा शीना के साथ ” वरदान” क्लीनिक चलाते है विगत विधानसभा चुनाव 2013 के पहले उन्होंने सरकारी नोकरी छोडी ओर राजनीति मे दस्तक दी लेकिन उन्हें जल्दी ही टिकट वितरण के दौर ओर उसके बाद हुऐ चुनाव मे राजनीतिक कुटनीतिया समझ मे आने लगी थी । विगत 2014 मे मोदी लहर मे जब कांतिलाल भूरिया चुनाव हारे तो डा विक्रांत बेहद दुखी हुऐ ओर परिणाम के दिन ही ठान लिया था कि पिता की हार से सीख भी लेना है ओर खुद को नये सिरे से साबित भी करना है उसी दिन से डा विक्रांत ने योजना बनाना ओर बुथ लेवल पर कैसे काम करना है इस बात की रणनीति बनानी शुरु कर दी थी । जल्दी ही डा विक्रांत ने ऐसे लोगो को अपने साथ खडा कर लिया जो ना सिर्फ जमीनी थी बल्कि भरोसेमंद भी थे ओर इसी बीच उपचुनाव आ गया । अपनी टीम के साथ बुथ प्रबंधन / मीडिया प्रबंधन / सोशल मीडिया प्रबंधन / मुद्दो को चिन्हित करने जैसे काम खुद डा विक्रांत ने किये थे । कांतिलाल भूरिया को सिर्फ इलाके मे घुमने ओर वन -2 – वन संवाद / फलिया / खाटला बैठकों मे खपाया गया था बाकी सारे काम डा विक्रांत ने खुद कलावती ओर आशीष भूरिया के साथ मिलकर संभाले थे । 

रतलाम जिले की जीत भी डा विक्रांत की कुशल रणनीति

विगत विधानसभा चुनाव मे बीजेपी ने अकेले रतलाम जिले से ही 80 हजार की लीड ली थी तब से डा विक्रांत ने रणनीति बनाकर रतलाम को या तो जीतने या फिर उसकी लीड कम करने पर काम करना होगा । यही लक्ष्य परिणाम मे भी दिखा । जहा सैलाना ओर रतलाम ग्रामीण कांग्रेस बडे अंतर से जीत गयी वही रतलाम शहर ही हार 55 हजार से 22 हजार पर लाने ओर 15 हजार वोट नोटा मे जाना डा विक्रांत की ही रणनीति थी ।