प्रभारी मंत्री को ज्ञापन देने की होड़ सी लगी

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

आम्बुआ कस्बे में 7 नवंबर को प्रवास पर आए म.प्र शासन के औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन तथा अलीराजपुर जिले के प्रभारी मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का कस्बा आम्बुआ सहित जोबट विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों ने अपनी व्यथा कथा आवेदन पत्रों के माध्यम से सुनाई। इतने अधिक आवेदन शिकायतें मांगे आदि आने का क्या कारण हो सकता है? यह विचारणीय है। प्रदेश शासन की विभिन्न योजनाएं जो कि जन हितेषी है का लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पा रहा है। क्या उनके कार्य, मांगे आदि पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है? आदि पर गहन चिंतन करना जरूरी माना जा सकता है।

आम्बुआ कस्बे में नवनिर्मित स्वास्थ्य केंद्र के लोकार्पण तथा शिक्षण संस्था भवन, छात्रावास भवन के आधार शिला पूजन पर पधारे प्रभारी मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव तथा क्षेत्रीय विधायक सुलोचना रावत के समक्ष कार्यक्रम के मध्य आम्बुआ ग्राम पंचायत के सरपंच रमेश रावत ने स्वास्थ्य केंद्र पर बी.एम.ओ कार्यालय पुनः प्रारंभ करने की मांग के साथ ही भीलवट बाबा स्थल पर मुख्यमंत्री द्वारा निर्माण की घोषणा के बाद भी कार्य नहीं होने तथा मुक्तिधाम समिति द्वारा मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्माण की घोषणा के बाद निर्माण कार्य अधूरा रहने भुगतान नहीं होने के आवेदन के साथ ही व्यामशाला, खेल मैदान, शासकीय हाई सेकेंडरी स्कूल में फर्नीचर, बाउंड्री वॉल, विषयवार शिक्षकों की व्यवस्था की मांग के साथ ही इंदिरा आवास में विद्युत व्यवस्था हेतु डी.पी की मांग के साथ ही शंकर मंदिर प्रांगण में स्थित अंबे माता मंदिर प्रांगण में टीन शेड लगाने, बोहरा मस्जिद क्षेत्र में निर्माण कार्य की स्वीकृति तथा ग्रामीण क्षेत्रों से आए सरपंच, पंच ग्रामीणों ने आवास कुटीर, खरंजा, हेडपंप, बिजली डी.पी, खाद्यान्न वितरण, आंगनवाड़ी भवन, खरंजा आदि अनेक समस्याओं की पूर्ति हेतु आवेदन, ज्ञापन, मांग पत्र आदि मंत्री जी को दिए गए।

सैकड़ों की संख्या में आखिर आवेदन क्यों दिए गए तो कुछ ग्रामीणों ने बताया कि उनकी मांगे तथा शिकायतों पर प्रशासन स्तर पर जल्दी सुनवाई नहीं होती है। साथ ही क्षेत्रीय नेता सांसद विधायक आदि हर समय तो मिल नहीं सकते हैं उनका अपना विस्तृत कार्यक्षेत्र होता है इस कारण उन्होंने यह सोच रखा था कि जब भी कोई बड़ा नेता मंत्री आदि का कार्यक्रम हो तो आवेदन दिए जाएं ताकि तत्काल उनका निराकरण हो सके चूंकि प्रभारी मंत्री राजवर्धन सिंह की कार्यप्रणाली बहुत ही अच्छी मानी जाती है वह स्वाभाविक रूप से आम नागरिकों से जुड़ जाते हैं उनकी सहजता सरलता तथा कार्यशैली ऐसी है कि वे “टालने” की नीति के खिलाफ है। शिकायतें समस्याओं पर तत्काल निर्णय कराना एक ऐसी प्रकृति है जिसके सब “कायल” है। जब वह कांग्रेस में थे तब भी और अब जब वे भाजपा में है तब भी वे अपनी स्वाभाविक और चिर परिचित मुस्कान के साथ आम नागरिकों के बीच आम नेता बन जाते हैं। यही कारण है कि लोग उन्हें अपनी समस्याएं बताने में हिचक महसूस नहीं करते हैं। आम्बुआ में भी उन्होंने अपनी चिरपरिचित शैली में कई ज्ञापनों पर तत्काल निराकरण कराया शेष का निराकरण भी शीघ्र कराने का आश्वासन दिया। लोगों को विश्वास है उनका निदान भी शीघ्र होगा।